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सबसे बड़ा बल: बुद्धिबल – शेर व खरगोश की पंचतंत्र कहानी!

यस्य बुद्धिर्बलं तस्य निर्बुद्धेस्तु कुतो बलम्। बली वही है, जिसके पास बुद्धि-बल है। एक जंगल में भासुरक नाम का शेर रहता था। बहुत बलशाली होने के कारण वह प्रतिदिन जंगल के मृग, खरगोश-हिरण-रीछ-चीता आदि पशुओं को मारा करता था। एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर सभा की और निश्‍चय किया कि भासुरक शेर […]

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बगुला भगत – बगुला और केकड़े की पंचतंत्र कहानी!

उपायेन जयो यादृग्रिपोस्‍तादृड् न हेतिभि: उपाय से शत्रु को जीतो, हथियार से नहीं। एक जंगल में बहुत सी मछलियों से भरा एक तालाब था। एक बगुला वहाँ दिन-प्रतिदिन मछलियों को खाने के लिए आता था, किंतु वृद्ध होने के कारण मछलियों को पकड़ नहीं पाता था। इस तरह भूख से व्याकुल हुआ वह एक दिन […]

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अक्‍ल बड़ी या भैंस! Panchtantra Short Stories With Moral in Hindi

उपायेन हि यच्‍छक्‍यं न तच्‍छक्‍यं पराक्रमै: उपाय द्वारा जो काम हो जाता है वह पराक्रम से नहीं हो पाता एक स्‍थान पर वटवृक्ष की एक बड़ी खोल में एक कौवा-कौवी रहते थे। उसी खोल के पास एक काला सॉंप भी रहता था। वह सॉंप कौवी के नन्‍हे-नन्‍हे बच्‍चों को उनके पंख निकलने से पहले ही […]

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ढोल की पोल! Panchtantra Story in Hindi With Moral

शब्‍दमात्रात् न भीतव्‍यम् शब्‍द-मात्र से डरना उचित नहीं। गोमायु नाम का गीदड़ एक बार भूखा-प्‍यासा जंगल में घूम रहा था। घूमते-घूमते वह एक युद्धभूमि में पहुँच गया। वहॉं दो सेनाओं में युद्ध होकर शांत हो गया था। किन्‍तु एक ढोल अभी तक वहीं पड़ा था। उस ढोल पर इधर-उधर की बेलों की शाखाऍं हवा से […]

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अनधिकार चेष्‍टा! Panchtantra Ki Kahani in Hindi

अव्‍यापारेषु व्‍यापारं यो नर: कर्त्तुमिच्‍छति। स एव निधनं याति कीलोत्पाटीव वानर:।। दूसरे के काम में हस्‍तक्षेप करना मूर्खता है। एक गांव के पास, जंगल की सीमा पर, मंदिर बन रहा था। वहॉं के कारीगर दोपहर के समय भोजन के लिए गॉंव में आ जाते थे। एक दिन जब वे गॉंव में आए हुए थे तो […]

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प्रथम तन्‍त्र :- मित्र भेद! Panchatantra Story in Hindi

महिलारोप्‍य नाम के नगर में वर्धमान नाम का एक वणिकपुत्र रहता था। उसने धर्मयुक्‍त रीति से व्‍यापार में पर्याप्‍त धन पैदा किया था। किन्‍तु उतने से उसे संतोष नहीं होता था, और भी अधिक धन कमाने की इच्‍छा थी। छह उपायों से ही धनोपार्जन किया जाता है- भिक्षा, राजसेवा, खेती, विद्या, सूद और व्‍यापार से। […]

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