महत्त्वाकांक्षी युवा तपस्वी! Tenali Rama Ki Kahani in Hindi
विजयनगर में प्रत्येक वर्ष कोई-न-कोई उत्सव-समारोह आदि हुआ करता था। महाराज कृष्णदेव राय उत्सव-प्रेमी ही नहीं, अध्यात्म-प्रेमी भी थे। उनका मानना था कि आध्यात्मिक होने का अर्थ यह नहीं है कि आप धार्मिक कर्मकांडों में उलझ जाएँ। ये कर्मकांड तो मनुष्य को विचारों की संकीर्णता की ओर ले जाते हैं। यह करो, ऐसे करो बताने … Read more