विवाहित स्त्रियां अन्य आभूषण पहनें या न पहनें, लेकिन उनके गले में धारण किया मंगलसूत्र सौभाग्यवती रहते कभी अलग नहीं होता, क्योंकि हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार विवाहित नारी के सुहाग और अस्मिता से जुड़ा मंगलसूत्र एक ऐसी अमूल्य निधि है, जिसका स्थान न तो कोई अन्य आभूषण ले सकता है और न उसका मूल्य […]
अतिथि देवो भव -अतिथि को देवता क्यों मानते हैं ?
वेद वाक्य अतिथिदेवो भव का अर्थ है- अतिथि देवस्वरूप होता है। उसकी सेवा देव पूजा कहलाती है। सूतजी के अनुसार अतिथि सत्कार से बढ़कर दूसरा कोई महान धर्म नहीं है, अतिथि से महान कोई देवता नहीं है। द्वार पर आए अतिथि का यथा – योग्य स्वागत – सत्कार करना हमारी परंपरा में कर्तव्य ही नहीं […]
सुबह जगते ही भूमि वंदना क्यों करनी चाहिए ?
प्रातः काल विस्तर से उतरने के पहले यानी पृथ्वी पर पैर रखने से पूर्व पृथ्वी माता का अभिवादन करना चाहिए, क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इसका विधान बनाकर इसे धार्मिक रूप इसलिए दिया, ताकि हम धरती माता के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट कर सकें। वेदों ने पृथ्वी को मां कहकर वंदना की है। चूंकि हमारा शरीर […]
प्रातः सुबह जगते ही हथेलियों को क्यों देखना चाहिए?
शास्त्रों में प्रातः काल जगते ही बिस्तर पर सबसे पहले दोनों हाथों की हथेलियों (करतल) के दर्शन करने का विधान बताया गया है। दर्शन के दौरान निम्न श्लोक का उच्चारण करना चाहिए- Subah Uthkar Hatheli Dekhne Ka Mantra कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ॥ (आचार, प्रदीप) अर्थात् हथेलियों के […]
कीर्तन में ताली बजाने के क्या फायदे और लाभ है ?
श्रीरामकृष्ण देव कहा करते थे, ‘ताली बजाकर प्रातः काल और सायं काल हरिनाम भजा करो। ऐसा करने से सब पाप दूर हो जाएंगे। जैसे पेड़ के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से पेड़ पर की सब चिड़ियां उड़ जाती हैं, वैसे ही ताली बजाकर हरिनाम लेने से देहरूपी वृक्ष से सब अविद्यारूपी चिड़ियां उड़ जाती […]
भगवान् का भजन-कीर्तन और प्रार्थना क्यों आवश्यक है ?
शस्त्रों में लिखा है कि- ‘भजनस्य लक्षणं रसनम्’ अर्थात् अंतरात्मा का रस जिसमें उभरे, उसका नाम है- भजन, यानी हृदय में जो आनंद वस्तु, व्यक्ति या भोग-सामग्री के बिना भी आता है, वही भजन का रस है। रामचरितमानस में तुलसीदास ने 7/49/1-4 श्लोक में कहा है कि जो साधक भगवान् का विश्वास पाने के लिए […]
राम नाम का जप क्यों करते हैं और क्यों करना चाहिए ?
र+आ+म राम मधुर, मनोहर, मनोरंजक, विलक्षण, चमत्कारी जिसकी महिमा तीन लोक से न्यारी है। रामचरितमानस के बालकांड के वंदना प्रसंग में कहा गया है- ‘नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू।’ मतलब यह है कि कलियुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और न ज्ञान का ही, बल्कि […]
देवी देवताओं के वाहन अलग-अलग पशु-पक्षी क्यों है ?
हम ऋषि-मुनियों के श्रीमुख से सुनते आए हैं कि जिस देवी-देवता में जिस गुण का आरोप किया जाता था, उसे उसी गुणवाला कोई पशु या पक्षी वाहन के रूप में दिया गया था। इसीलिए उनके वाहन भी पृथक् पृथक् हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में हर एक देवी या देवता के विशेष वाहन का ब्यौरा मिलता […]
शनिदेव लंगड़े क्यों है और शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं ?
शनिदेव दक्ष प्रजापति की पुत्री संज्ञा देवी और सूर्यदेव के पुत्र हैं। यह नवग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाला ग्रह है। इसका प्रभाव एक राशि पर ढाई वर्ष और साढ़े साती के रूप में लंबी अवधि तक भोगना पड़ता है। शनिदेव की गति अन्य सभी ग्रहों से मंद होने का कारण इनका लंगड़ाकर चलना […]
पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री वस्तुओं का महत्त्व क्यों होता है ?
देवपूजन में पान-सुपारी, सिक्का, पानी, अक्षत (चावल), चंदन, रोली, पुष्प, दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, कुंकुम, हलदी, प्रसाद (मिष्ठान), फल आदि प्रयुक्त होते हैं। इन सबका अपना-अपना महत्त्व है। पान-सुपारी और सिक्का ऐसी वस्तुएं हैं, जिनके बिना पूजा संपन्न नहीं हो सकती। पूजा में पान और सुपारी का प्रयोग नारियल की तरह उत्तर-दक्षिण की एकता का प्रतीक […]
