सतां वचनमादिष्टं मदेन न करोति यः । स विनाशमवाप्नोति घष्टोष्ट्र इव सत्वरम्।। सज्जन की सलाह न माननेवाला और दूसरों से विशेष बनाने का यत्न करनेवाला मारा जाता है। एक गाँव में उज्जवलक नाम का बढ़ई रहता था। वह बहुत गरीब था। गरीबी से तंग आकर वह गाँव छोड़कर दूसरे गाँव के लिए चल पड़ा। रास्ते […]
घर का न घाट का! – गीदड़ और किसान पत्नी की पंचतंत्र कहानी!
विचित्रचरिताः स्त्रियः स्त्रियों का चरित्र बड़ा अजीब होता है। स्वजजनों को छोड़कर परकीयों के पास जाने वाली स्त्रियाँ परकीयों से भी ठगी जाती हैं। एक स्थान पर किसान पति-पत्नी रहते थे। किसान वृद्ध था। पत्नी जवान। अवस्था-भेद से पत्नी का चरित्र दूषित हो गया था, उसके चरित्रहीन होने की बात गाँव-भर में फैल गई थी। […]
वाचाल गधा! – पंचतंत्र की प्रेरक कहानी – पं. विष्णु शर्मा
मौनं सर्वाऽर्थसाधकम् वाचालता विनाशक है, मौन में बड़े गुण हैं। एक शहर में शुद्धपट नाम का धोबी रहता था। उसके पास एक गधा भी था। घास न मिलने से वह बहुत दुबला हो गया। धोबी ने तब एक उपाय सोचा। कुछ दिन पहले जंगल में घूमते-घूमते उसे एक मरा हुआ शेर मिला था, उसकी खाल […]
स्त्री- भक्त राजा! पति – पत्नी की पंचतंत्र कहानी।
न किं दद्यान्न किं कुर्यात् स्त्री भिरभ्यर्वितो स्त्री की दासता मनुष्य को विचारांथ बना देती है, उसके आग्रह का पालन मत करो। शास्त्रों में कहा गया है, औरतों में हठ, अविवेक, छल, मूर्खता, लोभ, मालिन्य और क्रूरता सबसे बड़े दोष होते हैं अग्नि, जल, महिलाएं, मूर्ख, सांप और शाही परिवार आपके लिए घातक साबित हो […]
स्त्री का विश्वास! पंचतंत्र की प्रेरक कहानी!
…कः स्त्रीणां विश्वसेन्नरः । अतिशय कामिनी स्त्री का विश्वास न करें। एक स्थान पर एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी बड़े प्रेम से रहते थे। किन्तु ब्राह्मणी का व्यवहार ब्राह्मण के कुटुम्बियों से अच्छा नहीं था। परिवार में कलह रहता था। प्रतिदिन की कलह से मुक्ति पाने के लिए ब्राह्मण ने माँ-बाप, भाई-बहिन का साथ […]
गीदड़ गीदड़ ही रहता है! पंचतंत्र की प्रेरक शिक्षाप्रद कहानियां!
यस्मिन् कुले त्वमुत्पन्नो गजस्तत्र न हन्यते। गीदड़ का बच्चा शेरनी का दूध पीकर भी गीदड़ ही रहता है। एक जंगल में शेर-शेरनी का युगल रहता था। शेरनी के दो बच्चे हुए। शेर प्रतिदिन हिरनों को मारकर शेरनी के लिए लाता था। दोनों मिलकर पेट भरते थे। एक दिन जंगल में बहुत घूमने के बाद […]
समय का राग कुसमय की टर्र – कुम्हार की पंचतंत्र कहानी!
स्वार्थमुत्सृज्य यो दम्भी सत्यं ब्रूते सुमन्दधीः । स स्वार्वाद् भ्रश्यते नूनं युधिष्ठिर इवापरः॥ अपने प्रयोजन से या केवल दम्भ से सत्य बोलनेवाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है। युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार एक बार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकराकर गिर गया। गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया। खून बहने […]
आज़माए को आज़माना – गधा और शेर की पंचतंत्र कहानी
जानन्नपि नरो दैवात्प्रकरोति विगर्हितम् सब कुछ जानते हुए भी जो मनुष्य बुरे काम में प्रवृत्त हो जाए, वह मनुष्य नहीं गधा है। एक घने जंगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था। उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था। शेर को एक बार एक मत्त हाथी से लड़ना […]
मेढक और साँप की मित्रता – पंचतंत्र की कहानी!
योऽमित्रं कुरुते मित्रं वीर्याऽभ्यधिकमात्मनः । स करोति न सन्देहः स्वयं हि विषभक्षणम्।। अपने से अधिक बलशाली शत्रु को मित्र बनाने से अपना ही नाश होता है। एक कुएँ में गंगदत्त नाम का मेढ़क रहता था। वह अपने मेढ़क दल का सरदार था। अपने बन्धु-बान्धवों के व्यवहार से खिन्न होकर वह एक दिन कुएँ से बाहर […]
चतुर्थ तन्त्र – लब्धप्रणाशम्! बंदर और मगरमच्छ की कहानी जामुन के पेड़ वाली।
लब्धप्रणाशम्! – बंदर और मगरमच्छ की कहानी जामुन के पेड़ वाली। एक बड़ी झील के तट पर सब ऋतुओं में मीठे फल देने वाला जामुन का वृक्ष था। उस वृक्ष पर रक्तमुख नाम का बन्दर रहता था। एक दिन झील से निकलकर एक मगरमच्छ उस वृक्ष के नीचे आ गया। बन्दर ने उसे जामुन के […]