घमण्ड का सिर नीचा! – ऊँट के घमंड की पंचतंत्र कहानी!

Ghamand Ka Ser Nicha Panchtantra Story in Hindi
Ghamand Ka Ser Nicha Panchtantra Story in Hindi

सतां वचनमादिष्टं मदेन न करोति यः ।
स विनाशमवाप्नोति घष्टोष्ट्र इव सत्वरम्।।

सज्जन की सलाह न माननेवाला और दूसरों से विशेष बनाने का यत्न करनेवाला मारा जाता है।

एक गाँव में उज्जवलक नाम का बढ़ई रहता था। वह बहुत गरीब था। गरीबी से तंग आकर वह गाँव छोड़कर दूसरे गाँव के लिए चल पड़ा। रास्ते में घना जंगल पड़ता था। वहाँ उसने देखा कि एक ऊँटनी प्रसवपीड़ा से तड़फड़ा रही थी।

ऊँटनी ने जब बच्चा दिया तो वह ऊँट के बच्चे और ऊँटनी को लेकर अपने घर आ गया। वहाँ घर के बाहर ऊँटनी को खूँटी से बाँधकर वह उसके खाने के लिए पत्तों-भरी शाखाएँ काटने वन में गया। ऊँटनी ने हरी-हरी कोमल कोपलें खाईं। बहुत दिन इसी तरह हरे-हरे पत्ते खाकर ऊँटनी स्वस्थ और पुष्ट हो गई।

ऊँट का बच्चा भी बढ़कर जवान हो गया। बढ़ई ने उसके गले में एक घण्टा बाँध दिया, जिससे वह कहीं खो न जाए। दूर से ही उसकी आवाज़ सुनकर बढ़ई उसे घर लिवा लाता था। ऊँटनी के दूध से बढ़ई के बाल-बच्चे भी पलते थे। ऊँट भार ढोने के भी काम आने लगा ।

उस ऊँट-ऊँटनी से ही उसका व्यापार चलता था। यह देख उसने एक धनिक से कुछ रुपया उधार लिया और गुर्जर देश में जाकर वहाँ से एक और ऊँटनी ले आया। कुछ दिनों में उसके पास अनेक ऊँट-ऊँटनियाँ हो गईं। उनके लिए रखवाला भी रख लिया गया। बढ़ई का व्यापार चमक उठा। घर में दूध की नदियाँ बहने लगीं।

शेष सब तो ठीक था, किन्तु जिस ऊँट के गले में घण्टा बँधा था, वह बहुत गर्वित हो गया था। वह अपने को दूसरों से विशेष समझता था। सब ऊँट वन में पत्ते खाने को जाते तो वह सबको छोड़कर अकेला ही जंगल में घूमा करता था।

उसके घण्टे की आवाज़ से शेर को यह पता लग जाता था कि ऊँट किधर है। सबने उसे मना किया, वह गले से घण्टा उतार दे, लेकिन वह नहीं माना।

एक दिन जब सब ऊट वन में पत्ते खाकर तालाब में पानी पीने के बाद गाँव की ओर वापस आ रहे थे तब वह सबको छोड़कर जंगल की सैर करने अकेला चल दिया। शेर ने भी घण्टे की आवाज़ सुनकर उसका पीछा किया। और जब वह वापस आया तो उस पर झपटकर उसे मार दिया।

बन्दर ने कहा:- तभी मैंने कहा था कि सज्जनों की बात अनसुनी करके जो अपनी ही करता है, वह विनाश को निमन्त्रण देता है।

मगरमच्छ बोला:- तभी तो तुझसे पूछता हूँ। सज्जन है, साधु है, किन्तु सच्चा साधु तो वही है जो अपकार करने वालों के साथ भी साधुता करे, कृतघ्नों को भी सच्ची राह दिखलाए। उपकारियों के साथ तो सभी साधु होते हैं।

यह सुनकर बन्दर ने कहा—तब मैं तुझे यही उपदेश देता हूँ कि तू जाकर उस मगर से, जिसने तेरे घर पर अनुचित अधिकार कर लिया है, युद्ध कर। नीति कहती है कि शत्रु बली है तो भेद-नीति से, नीच है तो दाम से, और समशक्ति है तो पराक्रम से उस पर विजय पाए।

मगर ने पूछा:- यह कैसे ?

तब बन्दर ने गीदड़, शेर और बाघ की यह कहानी सुनाई:- राजनीतिज्ञ गीदड़!

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