Posted inLok Kathayen / Folk Tales

रूपवती मीरजान और सांपों का बादशाह! लोक कथा

एक ग़रीब विधवा थी। एसके एक एकलौती बेटी थी। उनके वंश में सबसे रूपवती। उसका नाम मीरज़ान था। एक गरम दिन लड़कियां नदी पर नहाने गयीं और मीरजान को भी अपने साथ ले गयी। पानी में नहाते-नहाते लड़कियां कहने लगी: ”तुम कितनी सुंदर हो, मीरजान! अगर बादशाह तुम्‍हें देख ले, तो कह उठे: ‘मेरी आंखों […]

Posted inLok Kathayen / Folk Tales

सपना, जो सच हो गया! Lok Katha / Folk Tales in Hindi

सरसेम्‍बाय अनाथ था। न उसका पिता जिंदा रहा था, न ही माता। उसका जीवन दु:ख भरा था। उसने एक ज़मींदार की भेड़ें चराने की नौकरी कर ली। ज़मींदार ने उसे शरद ऋतु में एक लंगड़ी भेड़ देने का प्रलोभन दिया। नन्‍हा गड़रिया इस पर भी खुश था। वह भेड़ें चराता रहा, ज़मींदार की जूठन खाता […]

Posted inLok Kathayen / Folk Tales

खान सुलेमान और बायगीज़ Folk Tales in Hindi with Moral Lok Kathayen

खान सुलेमान के महल यों तो बहुमूल्‍य वस्‍तुओं से भरे पड़े थे, पर उसके लिए सोने की एक अंगूठी सबसे ज्यादा मूल्‍यवान थी, जिसे वह कभी उंगली से नहीं उतारता था। वह अंगूठी जादूई थी: जो भी उस अंगूठी को पहनता, वही पशु-पक्षियों तथा पौधों की भाषा समझने लगता और सारे प्राणी उसके अधीन हो […]

Posted inLok Kathayen / Folk Tales

रूपवती अयस्‍लू! Bharat Ki Lok Kathayen in Hindi

एक गांव में तीन सगे भाई रहते थे। वे इतने बलवान और चतुर थे कि उनके सारे समवयस्‍क उन पर गर्व करते थे। सारी बालाऐं उन्‍हें प्रशंसा की दृष्टि से देखती थी, सारे बुजुर्ग उनकी तारीफ करते थे। भाई बचपन से ही एक दूसरे को बहुत प्‍यार करते थे। न वे कभी एक दूसरे से […]

Posted inLok Kathayen / Folk Tales

अद्भुत बाग! – लोक कथा हिंदी में ( Folk Tale in Hindi )

बहुत पहले दो ग़रीब दोस्‍त थे- असन और हसेन। असन जमीन के छोटे से टुकड़े पर खेती करता था। हसेन अपना भेड़ों का छोटा सा रेवड़ चराता था। वे इसी तरह रूखा-सूखा खाने लायक कमाकर गुजर-बसर करते थे। दोनों मित्र काफी पहले विधुर हो चुके थे, लेकिन असन की एक रूपवती व स्‍नेहमयी बेटी थी। […]

Posted inPanchatantra Stories

मार्ग का साथी! – ब्राह्मण और कैकडा की पंचतंत्र कहानी

नैकाकिना गन्तव्यम् । अकेले यात्रा मत करो। एक दिन ब्रह्मदत्त नाम का एक ब्राह्मण अपने गाँव से प्रस्थान करने लगा। उसकी माता ने कहा:- पुत्र! कोई न कोई साथी रास्ते के लिए खोज ले अकेले यात्रा नहीं करनी चाहिए। ब्रह्मदत्त ने उत्तर दिया:- डरो मत माँ इस मार्ग में कोई उपद्रव नहीं है। मुझे जल्दी […]

Posted inPanchatantra Stories

मिलकर काम करो! – दो सिर वाले पक्षी की कहानी!

असंहता विनश्यन्ति। परस्पर मिल-जुलकर काम न करने वाले नष्ट हो जाते हैं। एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था। इसके दो मुख थे, किन्तु पेट एक ही था। एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृत समान मधुर फल मिला। यह फल समुद्र की लहरों ने किनारे पर फेंक […]

Posted inPanchatantra Stories

जिज्ञासु बनो! – चतुर ब्राम्हण और राक्षस की कहानी!

पृच्छकेन सदा भाव्यं पुरुषेण विजानता। मनुष्य को सदा प्रश्नशील, जिज्ञासु रहना चाहिए। एक जंगल में चंडकर्मा नाम का राक्षस रहता था। जंगल में घूमते-घूमते उसके साथ एक दिन एक ब्राह्मण आ गया। वह राक्षस ब्राह्मण के कन्धे पर बैठ गया। ब्राह्मण के प्रश्न पर वह बोला:- ब्राह्मण! मैंने व्रत लिया है। गीले पैरों से मैं […]

Posted inPanchatantra Stories

भय का भूत! – राक्षस और चोर की कहानी

यः परैति स जीवति। भागनेवाला ही जीवित रहता है। एक नगर में भद्रसेन नाम का एक राजा रहता था। उसकी कन्या रत्नवती थी। उसे हर समय यही डर रहता था कि कोई राक्षस उसका अपहरण न कर ले। उसके महल के चारों ओर पहरा रहता था, फिर भी वह सदा डर से काँपती रहती थी। […]

Posted inPanchatantra Stories

लोभ बुद्धि पर पर्दा डाल देता है! (बंदरों और राजा की कहानी)

यो लौल्यात् कुरुते कर्म, नैवोदर्कमवेक्षते । बिडम्बनामवाप्नोति स यथा चन्द्रभूषति ॥ बिना परिणाम सोचे चंचल वृत्ति से काम आरम्भ करनेवाला अपनी जय-हँसाई कराता है। एक नगर के राजा चन्द्र के पुत्रों को बन्दरों से खेलने का व्यसन था। बन्दरों का सरदार भी बड़ा चतुर था। वह सब बन्दरों को नीतिशास्त्र पढ़ाया करता था। सब बन्दर […]

error: Content is protected !!