मेढक और साँप की मित्रता – पंचतंत्र की कहानी!
योऽमित्रं कुरुते मित्रं वीर्याऽभ्यधिकमात्मनः । स करोति न सन्देहः स्वयं हि विषभक्षणम्।। अपने से अधिक बलशाली शत्रु को मित्र बनाने से अपना ही नाश होता है। एक कुएँ में गंगदत्त नाम का मेढ़क रहता था। वह अपने मेढ़क दल का सरदार था। अपने बन्धु-बान्धवों के व्यवहार से खिन्न होकर वह एक दिन कुएँ से बाहर … Read more