न किं दद्यान्न किं कुर्यात् स्त्री भिरभ्यर्वितो
स्त्री की दासता मनुष्य को विचारांथ बना देती है, उसके आग्रह का पालन मत करो।
शास्त्रों में कहा गया है, औरतों में हठ, अविवेक, छल, मूर्खता, लोभ, मालिन्य और क्रूरता सबसे बड़े दोष होते हैं अग्नि, जल, महिलाएं, मूर्ख, सांप और शाही परिवार आपके लिए घातक साबित हो सकते हैं इसलिए उनसे हमेशा सतर्क रहना चाहिए। और इस कारण राजा नन्द को भी बहुत शर्मिन्दगी उठानी पड़ी।
एक राज्य में अतुलवल पराक्रमी राजा नन्द राज्य करता था। उसकी वीरता चारों दिशाओं में प्रसिद्ध थी। आस-पास के सब राजा उसकी बन्दना करते थे। उसका राज्य समुद्र-तट तक फैला हुआ था। उसका मन्त्री वररुचि भी बड़ा विद्वान् और सब शास्त्रों में पारंगत था। उसकी पत्नी का स्वभाव बड़ा तीखा था।
एक दिन वह प्रणय-कलय में ही ऐसी रूठ गई कि अनेक प्रकार से मनाने पर भी न मानी। तब, वररुचि ने उससे पूछा:- प्रिये! तेरी प्रसन्नता के लिए मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ। जो तू आदेश करेगी, वही करूँगा।
पत्नी ने कहा:- अच्छी बात है! मेरा आदेश है कि तू अपना सिर मुण्डाकर मेरे पैरों पर गिरकर मुझे मना, तब मैं मानूँगी। वररुचि ने वैसा ही किया। तब वह प्रसन्न हो गई।
उसी दिन राजा नन्द की स्त्री भी रूठ गई।
नन्द ने भी कहा:- प्रिये! तेरी अप्रसन्नता मेरी मृत्यु है। तेरी प्रसन्नता के लिए मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूँ। तू आदेश कर, मैं उसका पालन करूँगा।
नन्द-पत्नी बोली:- मैं चाहती हूँ कि तेरे मुख में लगाम डालकर तुझपर सवार हो जाऊँ और तू घोड़े की तरह हिनहिनाता हुआ दौड़े। अपनी इस इच्छा के पूरा होने पर ही मैं प्रसन्न होऊँगी।
राजा ने भी उसकी इच्छा पूरी कर दी।
दूसरे दिन सुबह राजदरबार में जब वररुचि आया तो राजा ने पूछा:- मन्त्री! किस पुण्यकाल में तूने अपना सिर मुंडाया है?
वररुचि ने उत्तर दिया:- राजन्! मैंने उस पुण्यकाल में सिर मुण्डाया है, जिस काल में पुरुष मुख में लगाम लगाकर हिनहिनाते हुए दौड़ते हैं। राजा यह सुनकर बड़ा लज्जित हुआ।
बन्दर ने यह कथा सुनाकर मगर से कहा:- महाराज्! तुम भी स्त्री के दास बनकर वररुचि के समान अन्धे बन गए। उसके कहने पर मुझे मारने चले थे, लेकिन वाचाल होने से तुमने अपने मन की बात कह दी। वाचाल होने से सारस मारे जाते हैं।
बगुला वाचाल नहीं हैं, मौन रहता है, इसलिए बच जाता है। मौन से सभी काल सिद्ध होते हैं। वाणी का असंयय जीवनमात्र के लिए घातक है। इसी कारण शेर की खाल पहनने के बाद भी गधा अपनी जान बचा सका, मारा गया।
मगर ने पूछा- किस तरह?
बन्दर ने तब वाचाल गधे की यह कहानी सुनाई: वाचाल गधा
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इस कहानी में महिलाओं को नीचा नहीं दिखाया गया है, बल्कि उनके अवगुणों के नुकसान को दर्शाया गया है।
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