लोभ बुद्धि पर पर्दा डाल देता है! (बंदरों और राजा की कहानी)

यो लौल्यात् कुरुते कर्म, नैवोदर्कमवेक्षते । बिडम्बनामवाप्नोति स यथा चन्द्रभूषति ॥ बिना परिणाम सोचे चंचल वृत्ति से काम आरम्भ करनेवाला अपनी जय-हँसाई कराता है। एक नगर के राजा चन्द्र के पुत्रों को बन्दरों से खेलने का व्यसन था। बन्दरों का सरदार भी बड़ा चतुर था। वह सब बन्दरों को नीतिशास्त्र पढ़ाया करता था। सब बन्दर … Read more

शेखचिल्ली न बनो – कंजूस ब्राह्मण के सपने की कहानी।

अनागतवती चिन्तामभायां करोति य:। स एव पाण्डुरः शेते सोमशर्मपिता यथा।। हवाई किले मत बाँधो। एक नगर में कोई कंजूस ब्राह्मण रहता था। उसने भिक्षा से प्राप्त सत्तुओं में से थोड़े-से खाकर शेष से एक घड़ा भर लिया था। उस घड़े को उसने रस्सी से बाँध खूँटी से सरका दिया और उसके नीचे पास ही खटिया … Read more

मित्र की शिक्षा मानो! जुलाहे और देव के वरदान की कहानी!

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा मित्रोक्तं न करोति यः। एव निधनं याति यथा मन्चरकोलिकः। मित्र की बात सुनो, पत्नी की नहीं। एक बार मन्थरक नाम के जुलाहे के सब उपकरण, जो कपड़ा बुनने के काम आते थे, टूट गए उपकरणों को फिर बनाने के लिए लकड़ी की ज़रूरत थी। लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी लेकर यह समुद्र … Read more

संगीतविशारद गधा – गीदड़ और गधे की कहानी

साघु मातुल! गीतेन मया प्रोक्तोऽपि न स्थितः। अपूर्वोऽयं मणिर्बद्धः सप्राप्तं गीतलक्षणम्॥ मित्र की सलाह मानो । एक गाँव में उद्धत नाम का गधा रहता था। दिन में धोबी का भार ढोने के बाद रात को वह स्वेच्छा से खेतों में घूमा करता था। पर सुबह वह स्वयं धोबी के पास आ जाता था। रात को … Read more

एकबुद्धि की कथा – दो मछलियों और एक मेंढक की कहानी!

एकं व्यावहारिकं मनः श्रेयः शतं अव्यावहारिकचित्तात्। एक व्यवहार बुद्धि सौ अव्यावहारिक बुद्धियों से अच्छी है। एक तालाब में दो मछलियाँ रहती थीं। एक थी शतबुद्धि (सौ बुद्धियों वाली) दूसरी थी सहस्रबुद्धि (हजार बुद्धिवाली)। उस तालाब में एक मेंढ़क भी रहता था। उसका नाम था एकबुद्धि। उसके पास एक ही बुद्धि थी। इसलिए उसे बुद्धि पर … Read more

चार मूर्ख पण्डित! – पंचतंत्र की प्रेरक कहानियां

अपि शास्त्रेषु कुशला लोकाचारविवर्जिताः सर्वे ते हास्यतां यान्ति यथा ते मूर्खपण्डिताः॥ व्यवहार-बुद्धि के बिना पण्डित भी मूर्ख होते हैं। एक स्थान पर चार ब्राह्मण रहते थे। चारों विद्याभ्यास के लिए कान्यकुब्ज गए। निरन्तर बारह वर्ष तक विद्या पढ़ने के बाद वे सम्पूर्ण शास्त्रों के पारंगत विद्वान हो गए। किन्तु व्यवहार बुद्धि से चारों खाली थे। … Read more

वैज्ञानिक मूर्ख – मृत शेर को जीवित करने वाली कहानी

वरं बुद्धिर्न सा विद्या विद्याया बुद्धिरुत्तमा। बुद्धिहीना विनश्यन्ति यथा ते सिंह कारकाः। बुद्धि का स्थान विद्या से ऊँचा है। एक नगर में चार मित्र रहते थे। उनमें से तीन बड़े वैज्ञानिक थे, किन्तु बुद्धिरहित थे; चौथा वैज्ञानिक नहीं था, किन्तु बुद्धिमानू था। चारों ने सोचा कि विद्या का लाभ तभी हो सकता है, यदि वे … Read more

लालच बुरी बला! – चार ब्राह्मण-पुत्र की पंचतंत्र कहानी!

अतिलोभो न कर्तव्यो लोभं नैव परित्यजेत् । अतिलोभाऽभिभूतस्य चक्रं भ्रमति मस्तके॥ धन के अति लोभ से मनुष्य धन-संचय के चक्र में ऐसा फँस जाता है, जो केवल कष्ट ही कष्ट देता है। एक नगर में चार ब्राह्मण-पुत्र रहते थे। चारों में गहरी मैत्री थी। चारों ही निर्धन थे। निर्धनता को दूर करने के लिए चारों … Read more

बिना विचारे जो करे – पंडिताइन, नेवला और सांप पंचतंत्र की कहानी!

अपरीक्ष्य न कर्तव्यं कर्तव्यं सुपरीक्षितम्। पश्चाद्भवति सन्तापो ब्राह्मण्या न कुलाद्य यथा । अपरीक्षित काम का परिणाम बुरा होता है। एक बार देवशर्मा नाम के ब्राह्मण के घर जिस दिन पुत्र का जन्म हुआ उसी दिन उसके घर में रहने वाली नकुली ने भी एक नेवले का जन्म दिया। देवशर्मा की पत्नी बहुत दयालु स्वभाव की … Read more

पंचम तंत्र – अपरीक्षितकारकम्! पंचतंत्र की प्रेरक शिक्षाप्रद कहानियां

दक्षिण प्रदेश में एक प्रसिद्ध नगर पाटलिपुत्र में मणिभद्र नाम का एक धनिक महाजन रहता था। लोक-सेवा और धर्म-कार्यों में रत रहने से उसके धन-संचय में कुछ कमी आ गई, समाज में मान घट गया। इससे मणिभद्र को बहुत दुःख हुआ। वह दिन-रात चिन्तातुर रहने लगा। वह चिन्ता निष्कारण नहीं थी। धनहीन मनुष्य के गुणों … Read more

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