एक और एक ग्यारह – चिड़िया और हाथी की पंचतंत्र कहानी!
बहूनामप्यसराणां समवायो हि दुर्जय: छोटे और निर्बल भी संख्या में बहुत होकर दुर्जेय हो जाते हैं। जंगल में वृक्ष की एक शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का जोड़ा रहता था। उनके अण्डे भी उसी शाखा पर बने घोंसले में थे। एक दिन मतवाला हाथी वृक्ष की छाया में विश्राम करने आया। वहाँ उसने अपनी सूंड़ में पकड़कर … Read more