Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

शुभ कार्यों में नवग्रहों का पूजन क्यों करते हैं ?

मान्यता यह है कि आकाश में विद्यमान नवग्रह सूर्य, चंद्र, बृहस्पति, शुक्र, केतु, मंगल, बुध, शनि और राहु मिलकर संसार और मनुष्य के संपूर्ण जीवन को नियंत्रित करते हैं। इसीलिए हम जब कोई शुभ कार्य, पूजा-पाठ, अनुष्ठान प्रारंभ करते हैं, तो सबसे पहले नवग्रह यानी नौ ग्रहों का पूजन करते हैं, ताकि उनके दुष्प्रभावों को […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

धार्मिक कर्म में कुश का महत्त्व क्यों ?

धार्मिक अनुष्ठानों में कुश (दर्भ) नामक घास से निर्मित आसन बिछाया जाता है। पूजा-पाठ आदि कर्मकांड करने से व्यक्ति के भीतर जमा आध्यात्मिक शक्ति-पुंज का संचय कहीं लीक होकर अर्थ न हो जाए अर्थात् पृथ्वी में न समा जाए, उसके लिए कुश का आसन विद्युत् कुचालक का कार्य करता है। इस आसन के कारण पार्थिव […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

आचमन तीन बार ही क्यों किया जाता है ?

धर्मग्रंथों में तीन बार आचमन करने के संबंध में कहा गया है- प्रथमं यत् पिवति तेन ऋग्वेदं प्रीणाति । यद् द्वितीयं तेन यजुर्वेदं प्रीणाति, यद् तृतीयं तेन सामवेदं प्रीणाति ॥ अर्थात् तीन बार आचमन करने से तीनों वेद यानी ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मनु महाराज के मतानुसार – […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

भगवान् के चरणामृत सेवन का महत्त्व क्यों है ?

मंदिरों में प्रतिदिन प्रातःकाल एवं सायंकाल आरती के पश्चात् भगवान् का चरणामृत दिया जाता है। चरणामृत का जल हमेशा तांबे के पात्र में रखने का विधान है, क्योंकि आयुर्वेदिक मतानुसार तांबे में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है। इसका जल मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। इसमें तुलसीदल डालने के पीछे […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

देव मूर्ति की परिक्रमा क्‍यों की जाती है और महत्त्व क्यों है ?

परिक्रमा करना कोरा अंधविश्वास नहीं, बल्कि यह विज्ञान सम्मत है। जिस स्थान या मंदिर में विधि-विधानानुसार प्राण प्रतिष्ठित देवी-देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है उस स्थान के मध्य बिंदु से प्रतिमा के कुछ मीटर की दूरी तक उस शक्ति की दिव्य प्रभा रहती है, जो पास में अधिक गहरी और बढ़ती दूरी के हिसाब […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

पूजा-पाठ और कर्मकांडों में संकल्प अनिवार्य क्यों है ?

Sankalp Kyu Karte Ha? इसमें कोई संदेह नहीं कि आज तक जितने भी कार्य सिद्ध हुए हैं, उनमें व्यक्ति की साधना और संकल्प शक्ति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। संकल्पवान व्यक्ति ही किसी भी प्रकार की सिद्धि का हकदार है और अपने लक्ष्य को पाने की योग्यता रखता है। वह जिस कार्य को हाथ में […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

धार्मिक कर्म में मौलि या कलावा बांधने की प्रथा क्यों?

शास्त्र मत है कि मौलि बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की अनुकंपा से कीर्ति और विष्णु की कृपा से रक्षा बल मिलता है तथा महेश दुर्गुणों का विनाश करते हैं। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं प्रशासन […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

नारियल शुभ, समृद्धि और सम्मान का प्रतीक क्यों?

हिंदुओं के प्रत्येक धार्मिक उत्सवों, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों की शुरुआत में सर्वप्रथम नारियल को याद किया जाता है। इसे शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। देवी-देवताओं को नारियल की भेंट चढ़ाने का प्रचलन आम है। प्रत्येक शुभ कार्य में नारियल पर कुंकुम की पांच बिंदियां लगाकर कलश पर चढ़ाया […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

जानें पूजा-पाठ में दीपक दिया क्‍यों जलाया जाता है !

भारतीय संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी उपस्थिति में किए कार्य अवश्य ही सफल होते हैं। हमारे शरीर की रचना में सहायक पांच तत्त्वों में से एक अग्नि भी है। दूसरे अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का परिवर्तित […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

यजमान व पूजा सामग्री पर जल के छींटे क्यों?

पूजा-पाठ हो या कोई और धार्मिक कार्य, उसमें जब यजमान को आसन पर बैठाया जाता है, तो सबसे पहले उस पर जल छिड़कते हुए पंडित यह मंत्रोच्चारण करते हैं- ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा, यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सःवाह्याभ्यन्तरः शुचिः । अर्थात् चाहे अपवित्र हो या पवित्र किसी भी अवस्था में हो, यदि वह […]

error: Content is protected !!