एक समय स्वामी विवेकानंद से उनके अनुयायी ने प्रश्न किया कि माता को इस पृथ्वी पर सबसे अधिक महान क्यों कहा जाता है। स्वामी जी ने मुस्कराते हुए उससे लगभग पांच किलो का एक पत्थर लाने को कहा। स्वामी जी ने अपने भक्त से कहा- अब तुम इस पत्थर को अपने पेट पर कपड़े से बांध लो और अपने समस्त कार्य इसी प्रकार एक दिन और रात करो और फिर मेरे पास आओ।
स्वामी जी के निर्देशानुसार उसने पत्थर को अपने पेट पर बांध लिया और दिन भर अपना कार्य करता रहा। उसे हरदम अत्यंत थकावट और परेशानी महसूस हुई। आठ-नौ घंटे में ही उसका बुरा हाल हो गया और उससे चला नहीं जा रहा था। वह उसी समय स्वामी जी के पास गया और कहा- अब हमें पत्थर बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैं और ज्यादा पत्थर बांधे नहीं रख सकता।
स्वामी जी ने कहा कि पेट पर बंधे हुए इस पत्थर हो बोझ तुमसे आठ-नौ घंटे नहीं उठाया जा रहा है और माता अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ महीने रखती है। घर का समस्त कार्य करती है। इस कार्य को मॉं प्रसन्नतापूर्वक करती है। कभी विचलित नहीं होती है। संसार में माता के अतिरिक्त कोई इतना धैर्यवान व सहनशीन नहीं है। इसीलिए माता से बढ़ कर इस संसार में कोई भी महान नहीं है।
तीन प्रेरक कहानियां हिंदी में – 3 Short Moral Stories in Hindi
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