तजुर्बा किस प्रकार हमारी गलितियों को कम कर देता है औश्र ये हमें विशिष्ट लोगों की श्रेणीयों में लाकर खड़ा कर देता है। इसे इस लघु-कथा के माध्यम से समझा जा सकता है।
एक बार की बात है एक बहुत बड़ा समुद्री जहाज पर्यटकों को लेकर एक सफ़र पर निकला था। कुछ सम्रद्री मील यात्रा करने के बाद अचानक जहाज का इंजन खराब हो गया। कैप्टन और वहॉं मौजूद इंजीनियरों ने इंजन को ठीक करने की काफी कोशिश की पर इंजन ठीक ही नहीं हो रहा था। तब कैप्टन ने बंदरगाह कार्यालय से संपर्क किया। बंदरगाह से कुछ इंजीनियरों को हेलिकॉप्टर से भेजा गया। वे लोग आते ही इंजन के मरम्मत में जुट गये। काफी समय हो गया, उन लोगों ने भी काफी मशक्कत की पर फिर भी इंजन ठीक नहीं हुआ।
जहाज के यात्रियों का सब्र का बांध टूटा जा रहा था वे परेशान होकर बार-बार कैप्टन से आकर पूछ रहे थे कि ठीक हुआ कि नहीं? अब कैप्टन सोच में पड़ गया कि अब क्या करें ? ये अब कैसे ठीक होगा ? तभी यात्रियों में से किसी ने कहा की ‘एक अमुक इंजीनियर है अगर उसे बुलाया जाय तो शायद वो ठीक कर सकता है”। आखिरकार थक-हारकर कैप्टन ने उस इंजीनियर को बुलाने की सोची। लाने के लिए हैलिकॉप्टर भेजा गया। कुछ देर बाद वो इंजीनियर आया, वो अपने हाथ में एक छोटा सा टूल बॉक्स लिए इंजन रूम की तरफ बढ़ा।
बाकी के इंजीनियर, नये इंजीनियर के पीछे-पीछे गये। वो सब देखना चाहते थे की नया इंजीनियर ऐसा क्या करेंगे जो हमलोगों ने नहीं किया। खैर नया इंजीनियर चलते-चलते इंजन के पास एक जगह रूका। उसने अपने टूल से क जगह ठक-ठक किया फिर क स्क्रू टाईट किया और कैप्टन को कहा की इंजन स्टार्ट करें। कैप्टन ने इंजन स्टार्ट किया और वो स्टार्ट हो गया। कैप्टन के खुशी का ठिकाना नहीं रहा और साथ ही वह ये जानने के लिए उत्सुक भी हो रहा था कि नया इंजीनियर ने आखिर कौन सा स्क्रू टाईट किया! कैप्टन उस इंजीनियर से बड़ा प्रभावित हुआ और पूछा, आपका बिल क्या है?
इंजीनियर ने कहा, 10,000 रूपये।
कैपटन आश्चर्यचकित होकर बोला – एक स्क्रू टाईट करने के 10,000 रूपये ?
इंजीनियर ने मुस्कुराते हुए कहा, नहीं भाई, स्क्रू टाईट करने का बिल केवल 100 रूपये है, बाकी तो 9,900 रूपये यह जानने का है कि स्क्र कहां टाईट करना है।
कैप्टन जवाब सुनकर सन्न रह गया और उसे उसके रूपये दे दिये।
इसे कहते हैं- तजुर्बा।
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