उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे जने। जिसको तिसको उपदेश देना उचित नहीं। किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का एक जोड़ा रहता था। अपने घोसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे। सर्दियों का मौसम था। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात में ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा […]
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सीख न दीजे बानरा – चिड़िया और मूर्ख बंदर की कहानी!
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये। उपदेश से मूर्खों का क्रोध और भी भडक उठता है, शान्त नहीं होता। किसी पर्वत के एक भाग में बन्दरों का दल रहता था। एक दिन हेमन्त ऋतु के दिनों में वहां इतनी बर्फ पड़ी और ऐसी हिम वर्षा हुई कि बंदर सर्दी के मारे ठिठुर गए। कुछ बंदर […]
कुटिल नीति का रहस्य – चतुर गीदड़ और शेर की कहानी!
परस्य पीडनं कुर्वन् स्वार्थसिद्धिं च पण्डित: गूढबुद्धिर्न लक्ष्मेत वने चतुरहो यथा।। स्वार्थ-साधन करते हुए कपट से भी काम लेना पड़ता है। किसी जंगल में वज्रदंष्ट्र नाम का शेर रहता था। उसके दो अनुचर, चतुरक गीदड़ और क्रव्यमुख भेड़िया, हर समय उसके साथ रहते थे। एक दिन शेर ने जंगल में बैठी हुई ऊंटनी को मारा। […]
एक और एक ग्यारह – चिड़िया और हाथी की पंचतंत्र कहानी!
बहूनामप्यसराणां समवायो हि दुर्जय: छोटे और निर्बल भी संख्या में बहुत होकर दुर्जेय हो जाते हैं। जंगल में वृक्ष की एक शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का जोड़ा रहता था। उनके अण्डे भी उसी शाखा पर बने घोंसले में थे। एक दिन मतवाला हाथी वृक्ष की छाया में विश्राम करने आया। वहाँ उसने अपनी सूंड़ में पकड़कर […]
दूरदर्शी बनो! – तीन मछलियों की पंचतंत्र की प्रेरक कहानी!
यद् भविष्यो विनश्यति ‘जो होगा देखा जाएगा’ कहने वाले नष्ट हो जाते है। एक तालाब में तीन मछलियॉं थी। अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य। एक दिन मछियारों ने उन्हें देख लिया और सोचा,इस तालाब में खूब मछलियॉं हैं। आज तक कभी इसमें जाल भी नहीं डाला है, इसलिए यहाँ खूब मछलियॉं हाथ लगेंगी। उस दिन शाम […]
हितैषी की सीख मानो! – मूर्ख कछुए की कहानी Panchatantra Story in Hindi
सुहृदां हितकामानां न करोतीह यो वच:। सकूम इव दुर्बद्धि: काष्ठाद् भ्रष्टो विनश्यति। हितचिन्तक मित्रों की बात पर जो ध्यान नहीं देता, वह मूर्ख नष्ट हो जाता है। एक तालाब में कम्बुग्रीव नाम का कछुआ रहता था। उसी तालाब में प्रति दिन आने वाले दो हंस, जिनका नाम संकट और विकट था, उसके मित्र थे। तीनों […]
घड़े-पत्थर का न्याय! टिटिहरी और समुद्र की पंचतंत्र कहानी
बलवन्तं रिपु दृष्ट्वा न वाSSमान प्रकोपयेत् शत्रु अधिक बलशाली हो तो क्रोध प्रकट न करे, शान्त हो जाए। समुद्र तट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोड़ा रहता था। अण्डे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिए कहा। टिटिहरे ने कहा- यहॉं स्थान पर्याप्त सुरक्षित […]
फूँक-फुँककर पग धरो! ऊँट और शेर की कहानी Panchatantra Story in Hindi
सेवसधर्म: परमगहनो… सेवाधर्म बड़ा कठिन धर्म है। एक जंगल में मदोत्कट नाम का शेर रहता था। उसके नौकर-चाकरों में कौवा, गीदड़, बाघ, चीता आदि अनेक पशु थे। एक दिन वन में घूमते-घूमते एक ऊंट वहॉं आ गया। शेर ने ऊँट को देखकर अपने नौकरों से पूछा- यह कौन-सा पशु है? जंगली है या ग्राम्य? कौवे […]
रंगा सियार – गीदड़ और शेर की पंचतंत्र प्रेरक कहानियां!
त्यक्ताश्चाऽयान्तरा येन बाह्यश्चाम्यतरीकृताः। स एव मृत्युमाप्नोति मूर्खश्चण्डरवीयथा ।। अपने स्वभाव के विरुद्ध आचरण करने वाला… आत्मीयों को छोड़कर परकीयों में रहने वाला नष्ट हो जाता है। एक दिन जंगल में रहने वाला चण्डरव नाम का गीदड़ भूख से तड़पता हुआ लोभवश नगर में भूख मिटाने के लिए आ पहुंचा। उसके नगर में प्रवेश करते ही […]
कुसंग का फल – जूँ और खटमल की कहानी! Panchatantra Story in Hindi
न ह्यविज्ञातशीलस्य प्रदातव्यः प्रतिश्रयः अज्ञात या विरोधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को आश्रय नहीं देना चाहिए। एक राजा के शयनगृह में शय्या पर बिछी सफेद चादरों के बीच एक मन्दविसर्पिणी सफेद जूँ रहती थी। एक दिन इधर-उधर घूमता हुआ एक खटमल वहाँ आ गया। उस खटमल का नाम था अग्निमुख। अग्निमुख को देखकर दु:खी जूँ […]