मूर्ख मित्र – बंदर और राजा की कहानी!
पण्डितोऽपि वरं शत्रुर्न मूर्खो हितकारकः हितचिंतक मूर्ख की अपेक्षा अहितचिंतक बुद्धिमान अच्छा होता है। किसी राजा के राजमहल में एक बंदर सेवक के रूप में रहता था। वह राजा का बहुत विश्वासपात्र और भक्त था। अंतःपुर में ही वह बेरोक-टोक जा सकता था। एक दिन राजा सो रहे थे और बंदर पंखा झेल रहा था, … Read more