मनु महाराज का वचन है – मातुरग्रेऽधिजननं द्वितीयं मौञ्जिबन्धनं । – मनुस्मति 2/169 अर्थात् पहला जन्म माता के पेट से होता है और दूसरा यज्ञोपवीत धारण से होता है। माता के गर्भ से जो जन्म होता है, उस पर जन्म-जन्मांतरों के संस्कार हावी रहते हैं। यज्ञोपवीत संस्कार द्वारा बुरे संस्कारों का शमन करके अच्छे संस्कारों […]
Category: Hindu Riti Riwaj / Manyataye
जानें हिंदू धर्म की मान्यताएं एवं रीति रिवाज, Hindu Riti Riwaj Manyataye in Hindi, हिन्दुओं के रीति-रिवाज तथा मान्यताएं – धार्मिक एवं पौराणिक प्रमाणों सहित
गुरु दक्षिणा की परंपरा क्यों? Guru Dakshina Ki Parampara Kyo?
गुरुदीक्षा का प्रतिदान गुरु दक्षिणा कहलाता है। शिष्य गुरु को दक्षिणा देकर अपनी पात्रता, प्रामाणिकता सिद्ध करता है। एक अर्थ में दक्षिणा आहार को पचाने की क्रिया है, और एक अन्य अर्थ में जड़ों का रस पौधे तक पहुंचाकर उसे विकसित एवं फलित करने वाला उपक्रम भी है। आध्यात्मिक दृष्टि से शिक्षा के सार्थक उपयोग […]
गुरु दीक्षा क्या है और गुरु दीक्षा का विशेष महत्त्व क्यों है ?
गुरु की कृपा और शिष्य की श्रद्धा रूपी दो पवित्र धाराओं का संगम ही दीक्षा है। यानी गुरु के आत्मदान और शिष्य के आत्मसमर्पण के मेल से ही दीक्षा संपन्न होती है। दीक्षा के संबंध में गुरुगीता में लिखा है- गुरुमंत्रो मुखे यस्य तस्य सिद्धयन्ति नान्यथा। दीक्षया सर्वकर्माणि सिद्धयन्ति गुरुपुत्रके ॥ – गुरुगीता 2/131 अर्थात् […]
विद्यारंभ संस्कार क्या है और इसका महत्त्व क्यों?
गुरुजनों से वेदों और उपनिषदों का अध्ययन कर तत्त्वज्ञान की प्राप्ति करना ही इस संस्कार का परम प्रयोजन है। जब बालक-बालिका का मस्तिष्क शिक्षा ग्रहण करने योग्य हो जाता है, तब यह संस्कार किया जाता है। आमतौर पर 5 वर्ष का बच्चा इसके लिए उपयुक्त होता है। मंगल के देवता गणेश और कला की देवी […]
कर्णवेध संस्कार (Kanchhedan Sanskar) क्यों किया जाता है?
इस संस्कार को 6 माह से लेकर 16वें माह तक अथवा 3, 5 आदि विषम वर्षों में या कुल की परंपरा के अनुसार उचित आयु में किया जाता है। इसे स्त्री-पुरुषों में पूर्ण स्त्रीत्व एवं पुरुषत्व की प्राप्ति के उद्देश्य से कराया जाता है। मान्यता यह भी है कि सूर्य की किरणें कानों के छिद्र […]
शिखा (चोटी) रखने और उसमें गांठ बांधने की प्रथा क्यों ?
हिंदू धर्म के साथ शिखा का अटूट संबंध होने के कारण चोटी रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। शिखा का महत्त्व भारतीय संस्कृति में अंकुश के समान है। यह हमारे ऊपर आदर्श और सिद्धांतों का अंकुश है। इससे मस्तिष्क में पवित्र भाव उत्पन्न होते हैं। उल्लेखनीय है कि हमारे लघु और […]
चूड़ाकर्म (मुंडन) संस्कार क्यों किया जाता है ?
इस संस्कार में शिशु के सिर के बाल पहली बार उस्तरे से उतारे जाते हैं। जन्म के पश्चात् प्रथम वर्ष के अंत तथा तीसरे वर्ष की समाप्ति के पूर्व मुंडन संस्कार कराना आमतौर पर प्रचलित है। क्योंकि हिंदू मान्यता के अनुसार एक वर्ष से कम की उम्र में मुंडन संस्कार करने से शिशु की सेहत […]
अन्नप्राशन संस्कार क्यों किया जाता है ?
माता के गर्भ में मलिन भोजन के जो दोष शिशु में आ जाते हैं, उनके निवारण और शिशु को शुद्ध भोजन कराने की प्रक्रिया को अन्नप्राशन संस्कार कहा जाता है- अन्नाशनान्मातृगर्भे मलाशाद्यपि शुध्यति । शिशु को जब 6-7 माह की अवस्था में पेय पदार्थ, दूध आदि के अतिरिक्त प्रथम बार यज्ञ आदि करके अन्न खिलाना […]
निष्क्रमण संस्कार क्यों किया जाता है ?
निष्क्रमण का अर्थ है- बाहर निकालना। बच्चे को पहली बार जब घर से बाहर निकाला जाता है, जैसे माता-पिता के यात्रादि पर जाने के समय निष्क्रमण संस्कार किया जाता है। इस संस्कार का फल विद्वानों द्वारा शिशु के स्वास्थ्य और आयु की वृद्धि करना बताया है- निष्क्रमणादायुषो वृद्धिरप्युद्दिष्टा मनीषिभिः। जन्म के चौथे मास में निष्क्रमण […]
नामकरण संस्कार क्यों किया जाता है? Namkaran Sanskar in Hindi
नामकरण संस्कार के संबंध में स्मृति संग्रह में लिखा है- आयुर्वर्थोऽभिवृद्धिश्च सिद्धिव्र्व्यवहृतेस्तथा । नामकर्मफलं त्वेतत् समुद्दिष्टं मनीषिभिः ॥ अर्थात् नामकरण संस्कार से आयु तथा तेज की वृद्धि होती है एवं लौकिक व्यवहार में नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति का अलग अस्तित्त्व बनता है। इस संस्कार को प्रायः दस दिन के सूतक की निवृत्ति के बाद […]
