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शुभ कार्यों में पूर्व दिशा में ही मुख क्यों?

यह तो हम सभी जानते हैं कि सूर्य पूर्व दिशा की ओर से उदित होता है। वेदों में उदित होते हुए सूर्य की किरणों का बहुत महत्त्व बताया गया है- उद्यन्त्सूर्यो नुदतां मृत्युपाशान् । – अथर्ववेद 17/1/30 अर्थात् उदित होता हुआ सूर्य मृत्यु के सभी कारणों अर्थात् सभी रोगों को नष्ट करता है। सूर्य की […]

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ब्रह्म मुहूर्त में उठने के निर्देश क्यों?

ब्रह्म मुहूर्त में क्यों उठाना चाहिए ? Brahma Muhurta Me Kyu Uthna Chahiye? ऐसा माना जाता है कि रात्रि 12 बजे से प्रातः 4 बजे तक आसुरी व गुप्त शक्तियों का प्रभाव रहता है। ब्रह्म मुहूर्त में यानी प्रातः 4 बजे के बाद ईश्वर का वास होता है। ब्रह्म मुहूर्त का नाम ब्रह्मी शब्द से […]

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आत्मा को अमर क्यों माना जाता है?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आत्मा ईश्वर का अंश है, अतः यह ईश्वर की ही भाति अजर-अमर है। संस्कारों के कारण इस दुनिया में उसका अस्तित्त्व भी है। वह जब जिस शरीर में प्रवेश करती है, तो उसे उसी स्त्री या पुरुष के नाम से पुकारा जाता है। आत्मा का न कोई रंग है और न […]

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सबसे बड़ा दान क्या है ? Sabse Bada Daan Kya Hai ?

दान देना मनुष्य जाति का सबसे बड़ा तथा पुनीत कर्तव्य है। इसे कर्तव्य समझकर दिया जाना चाहिए और उसके बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं रहनी चाहिए। अन्नदान महादान है, विद्यादान और बड़ा है। अन्न से क्षणिक तृप्ति होती है, किंतु विद्या से जीवनपर्यंत तृप्ति होती है। ऋग्वेद में कहा गया है- संसार का […]

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पिंडदान, श्राद्ध आदि कर्म पुत्र द्वारा ही क्यों ?

आचार्य वसिष्ठ ने पुत्रवान् व्यक्ति की महिमा के संबंध में कहा है- अपुत्रिण इत्यभिशापः । -वासिष्ठ स्मृति 17/8 अर्थात् पुत्रहीनता एक प्रकार का अभिशाप है। और आगे भी बताया है- पुत्रेण लोकांजयति पौत्रेणानन्त्यमश्नुते । अथ पुत्रस्य पौत्रेण ब्रघ्नस्याप्नोति विष्टपम् ॥ – वासिष्ठ स्मृति 17/5 अर्थात् पिता, पुत्र होने से लोकों को जीत लेता है, पौत्र […]

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पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करना आवश्यक क्यों?

ब्रह्मपुराण के मतानुसार अपने मृत पितृगण के उद्देश्य से पितरों के लिए श्रद्धा पूर्वक किए जाने वाले कर्म विशेष को श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध से ही श्रद्धा कायम रहती है। कृतज्ञता की भावना प्रकट करने के लिए किया हुआ श्राद्ध समस्त प्राणियों में शांतिमयी सद्भावना की लहरें पहुंचाता है। ये लहरें, तरंगें न केवल जीवित […]

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पिंडदान करने की परंपरा क्यों है? Pind Daan Kyon Kiya Jata Hai?

हिंदू धर्म में पिंडदान की परंपरा वेदकाल से ही प्रचलित है। मरणोपरांत पिंडदान किया जाता है। दस दिन तक दिए गए पिंडों से शरीर बनता है। क्षुधा का जन्म होते ही ग्यारहवें व बारहवें दिन सूक्ष्म जीव श्राद्ध का भोजन करता है। ऐसा माना जाता है कि तेरहवें दिन यमदूतों के इशारे पर नाचता हुआ […]

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मृतक का तर्पण क्यों किया जाता है? Mritak Ka Tarpan Kyon Kiya Jata Hai?

मनुस्मृति में तर्पण को पितृ-यज्ञ बताया गया है और सुख-संतोष की वृद्धि हेतु तथा स्वर्गस्थ आत्माओं की तृप्ति के लिए तर्पण किया जाता है। तर्पण का अर्थ पितरों का आवाहन, सम्मान और क्षुधा मिटाने से ही है। इसे ग्रहण करने के लिए पितर अपनी संतानों के द्वार पर पितृपक्ष में आस लगाए खड़े रहते हैं। […]

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फूल (अस्थियों) का गंगा आदि पवित्र नदियों में विसर्जन क्यों करते हैं?

मृतक की अस्थियों (हड्डियों) को धार्मिक दृष्टिकोण से ‘फूल’ कहते हैं। इसमें अगाध श्रद्धा और आदर प्रकट करने का भाव निहित होता है। जहां संतान फल है, वहीं पूर्वजों की अस्थियां ‘फूल’ कहलाती हैं। इन्हें गंगा जैसी पवित्र नदी में विसर्जन करने के दो कारण बताए गए हैं। पहला कूर्मपुराण के मतानुसार- यावदस्थीनि गंगायां तिष्ठन्ति […]

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जानें अंत्येष्टि संस्कार क्यों किया जाता है?

मनुष्य के प्राण निकल जाने पर मृत शरीर को अग्नि में समर्पित कर अंत्येष्टि संस्कार करने का विधान हमारे ऋषियों ने इसलिए बनाया, ताकि सभी स्वजन, संबंधी, मित्र, परिचित अपनी अंतिम विदाई देने आएं और इससे उन्हें जीवन का उद्देश्य समझने का मौका मिले, साथ ही यह भी अनुभव हो कि भविष्य में उन्हें भी […]

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