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धन सब क्लेशों की जड़ है! ताम्रचूड़ नाम के भिक्षु की कहानी

दक्षिण देश के एक प्रांत में महिलारोप्य नामक नगर से थोड़ी दूर महादेव जी का एक मंदिर था। वहां ताम्रचूड़ नाम का भिक्षु रहता था। वह नगर में से भिक्षा मांग कर भोजन कर लेता था और भिक्षा शेष को भिक्षा पात्र में रखकर खूटों पर टांग देता था। सुबह उसी भिक्षा शेष में से […]

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द्वितीय तंत्र: मित्र सम्‍प्राप्ति! पंचतंत्र की प्रेरक कहानियां

दक्षिण देश के एक प्रांत में महिलारोप्य नाम का एक नगर था। वहां एक विशाल वटवृक्ष की शाखाओं पर लघुपतनक नाम का कौवा रहता था। एक दिन वह अपने आहार की चिंता में शहर की ओर चला ही था कि उसने देखा कि एक काले रंग, फटे पांव और बिखरे बालों वाला यमदूत की तरह […]

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मूर्ख मित्र – बंदर और राजा की कहानी!

पण्डितोऽपि वरं शत्रुर्न मूर्खो हितकारकः हितचिंतक मूर्ख की अपेक्षा अहितचिंतक बुद्धिमान अच्छा होता है। किसी राजा के राजमहल में एक बंदर सेवक के रूप में रहता था। वह राजा का बहुत विश्वासपात्र और भक्त था। अंतःपुर में ही वह बेरोक-टोक जा सकता था। एक दिन राजा सो रहे थे और बंदर पंखा झेल रहा था, […]

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जैसे को तैसा – लोहे की तराजू की! पंचतंत्र की प्रेरक कहानी!

तुलां लोहसहस्त्रस्य यत्र खादन्ति मूषिकाः राजन्स्तत्र हरेच्छ्येनो बालकं नात्र संशयः जहां मन भर लोहे की तराजू को चूहे खा जाएं वहां की चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिया का लड़का रहता था। धन की खोज में उसने परदेस जाने का विचार किया। उसके घर में […]

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करने से पहले सोचो! – बगुलों और सांप की पंचतंत्र कहानी

उपायं चिन्तयेत्प्रज्ञास्त्थाSपायं च चिन्तयेत्। उपाय की चिन्ता के साथ, तज्जन्य अपाय या दुष्परिणाम की भी चिन्ता कर लेनी चाहिए। जंगल के एक बड़े वटवृक्ष की खोल में बहुत-से बगुले रहते थे। उसी वृक्ष की जड़ में एक सांप भी रहता था। वह बगुलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था। एक बगुला सांप द्वारा बार-बार […]

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मित्र- द्रोह का फल – दो मित्रों की पंचतंत्र कहानी!

किं करोत्येव पाण्डित्यमस्थाने विनियोजितम् अयोग्य को मिले ज्ञान का फल विपरीत ही होता है। किसी स्थान पर धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो मित्र रहते थे। एक दिन पापबुद्धि ने सोचा कि धर्मबुद्धि की सहायता से विदेश में जाकर धन पैदा किया जाए दोनों ने देश-देशान्तरों मैं घूमकर प्रचुर धन पैदा किया। जब वे वापस […]

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शिक्षा का पात्र – मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी!

उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे जने। जिसको तिसको उपदेश देना उचित नहीं। किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का एक जोड़ा रहता था। अपने घोसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे। सर्दियों का मौसम था। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात में ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा […]

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सीख न दीजे बानरा – चिड़िया और मूर्ख बंदर की कहानी!

उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये। उपदेश से मूर्खों का क्रोध और भी भडक उठता है, शान्त नहीं होता। किसी पर्वत के एक भाग में बन्दरों का दल रहता था। एक दिन हेमन्त ऋतु के दिनों में वहां इतनी बर्फ पड़ी और ऐसी हिम वर्षा हुई कि बंदर सर्दी के मारे ठिठुर गए। कुछ बंदर […]

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कुटिल नीति का रहस्‍य – चतुर गीदड़ और शेर की कहानी!

परस्‍य पीडनं कुर्वन् स्‍वार्थसिद्धिं च पण्डित: गूढबुद्धिर्न लक्ष्‍मेत वने चतुरहो यथा।। स्‍वार्थ-साधन करते हुए कपट से भी काम लेना पड़ता है। किसी जंगल में वज्रदंष्ट्र नाम का शेर रहता था। उसके दो अनुचर, चतुरक गीदड़ और क्रव्यमुख भेड़िया, हर समय उसके साथ रहते थे। एक दिन शेर ने जंगल में बैठी हुई ऊंटनी को मारा। […]

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एक और एक ग्यारह – चिड़िया और हाथी की पंचतंत्र कहानी!

बहूनामप्‍यसराणां समवायो हि दुर्जय: छोटे और निर्बल भी संख्‍या में बहुत होकर दुर्जेय हो जाते हैं। जंगल में वृक्ष की एक शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का जोड़ा रहता था। उनके अण्‍डे भी उसी शाखा पर बने घोंसले में थे। एक दिन मतवाला हाथी वृक्ष की छाया में विश्राम करने आया। वहाँ उसने अपनी सूंड़ में पकड़कर […]

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