पीपल व नीम – Short Moral Story in Hindi

Neem Aur Pipal Ka Pedh Moral Story in Hindi

आपने अक्‍सर देखा होगा कि जंगल के किसी विशाल पेड़ पर कोई अन्‍य छोटा पेड़ उग आता है। इसका कारण है कि पक्षियों द्वारा प्राय: विभिन्‍न पेड़ों के बीज दूसरे पेड़ पर डाल दिये जाते हैं, जहां धीरे-धीरे बीच एक छोटे पेड़ का रूप ले लेता है। यह कथा भी इसी प्रकार से है।

एक चिडि़या ने नीम का बीज अपनी चोंच में लाकर पीपल के तने पर डाल दिया। बीज ने नयी जगह पाकर पौधे का आकार ले लिया। धीरे-धीरे पीपल की छाया में छोटे नीम का पेड़ बढ़ने लगा, परंतु दूसरे पर निर्भर होने के कारण नीम के पेड़ का विकास बहुत कम हुआ। एक दिन नीम के छोटे से पेड़ को अपना आकार न बढ़ने के कारण गुस्‍सा आ गया।

उसने पीपल से गुस्‍से से कहा – ”तू स्‍वयं तो आकाश तक पहुंच रहा है, परंतु मुझे बढ़ने नहीं दे रहा है। ”पीपल ने हंस कर कहा – दोस्‍त, औरों की दया पर इतना ही विकास हो सकता है। इससे ज्‍यादा विकास करना है तो अपनी नींव स्‍वयं बनाओ।”

”एक दिन तेज आंधी आयी, पीपल के वृक्ष का कुछ नहीं हुआ, परंतु नीम का पौधा नीचे गिर पड़ा। एक राहगीर उधर से निकला और उसने कहा, किसी बड़े वृक्ष के नीचे छोटे पौधों का भविष्‍य सर्वथा खतरे में रहता है। जो लोग औरों के साये में बढ़ने की आशा रखते हैं, अनका अंत हमेशा दु:खदायी होता है।

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