अपनी सहायता स्‍वयं करें! – Prernadayak Kahani in Hindi

एक लोमड़ी जंगल में रहती थी। उसके आगे के दोनों पैर एक दुर्घटना में कट गये थे। एक व्‍यक्ति उसी लोमड़ी के पास रहता था। उसे यह देखकर आश्‍चर्य होता कि कैसे लोमड़ी अपने खाने का प्रबन्‍ध करती है। दिन उसने देखा कि एक शेर ने अपना शिकार लेकर, लोमड़ी जहां पर रहती थी, उस के पास आकर खाना शुरू कर दिया। बाद में उसके शिकार का कुछ भाग बच गया, जिसे शेर छोड़ कर चला गया। शेर द्वारा छोड़े गये शिकार को लोमड़ी ने बड़े प्रेमपूर्वक एवं स्‍वाद लेकर खा लिया। अगले दिन फिर परमपिता परमेश्‍वर ने शेर को अपने शिकार के साथ वहीं पर भेज दिया। इस प्रकार लोमड़ी को बिना कुछ करे अच्‍छा व पौष्टिक भोजन प्रतिदिन प्राप्‍त होने लगा।

Apni Madad Khud Kare Prernadayak Kahani in Hindiपड़ोसी ने इस पूरे प्रकरण पर विचार किया कि कोई दैविक शक्ति जब लोमड़ी को बिना कोई मेहनत किये भोजन उपलब्‍ध करा सकती है तो इसी प्रकार से मैं भी केवल आराम करूंगा और मुझे भी रोज खाना मिल जाया करेगा। उस व्‍यक्ति को बहुत विश्‍वास था। इसी प्रकार एक-एक करके दिन बीतते गये, पर उसे भोजन प्राप्‍त नहीं हुआ। धीरे-धीरे वह व्‍यक्ति कमजोर होता गया और ढ़ांचा मात्र शेष रह गया। जब वह बेहोश होने वाला था, उसे एक आवाज सुनाई दी –

”ए मनुष्‍य, तुम्‍हें शेर का उदाहरण अपने जीवन में उतारना चाहिये न कि विकलांग लोमड़ी का। तुम्‍हारे पास हाथ-पैर हैं, तब तुम्‍हें विकलांग बनना शोभा नहीं देता।”

पड़ोसी का अब वास्तविक ज्ञान मिल चुका था।


महात्‍मा बुद्ध

महात्‍मा बुद्ध किसी गाँव में आये हुये थे। प्रवचन सुनने के उपरान्‍त एक व्‍यक्ति ने महात्‍मा बुद्ध से जानना चाहा – ”आपने आपने प्रवचन में लोगों को सत्‍य, शांति व मोक्ष के संदर्भ में काफी कुछ बताया है। क्‍या आप बतायेंगे कि इन प्रवचनों से कितने लोगों को मोक्ष प्राप्‍त हुआ है ?”

महात्‍मा बुद्ध ने जवाब दिया- ”तुम इस गॉंव में जाकर पता लगाओं कि कितने लोग शांति से रहते हैं। कितने लोग मोक्ष अथवा सत्‍य चाहते हैं?”

उस व्‍यक्ति ने कहा- ”मैं गांव में घर-घर जाकर देखता हूँ। उसे गॉंव में एक भी आदमी नहीं मिला जो मोक्ष चाहता हो! किसी ने कहा- धन चाहिये, किसी ने यश व किसी ने संतान की मांग की।

महात्‍मा बुद्ध ने पास लौट कर उस व्‍यक्ति ने कहा- यह अजीब गॉंह है। यहॉं सबकी इच्‍छायें अलग-अलग हैं। महात्‍मा बुद्ध ने क्‍या कहा?

”महात्‍मा बुद्ध ने कहा कि इसमें विचित्र क्‍या है। सभी सुख चाहते हैं, शांति नहीं और सुख के लिये नित्‍य नये-नये तरीके खोजते हैं। सुख से शांति का मार्ग कैसे मिलेगा? वत्‍स शांति में ही सत्‍य व मोक्ष है!

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