एक बार राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक विदेशी व्यापारी आया था। इस व्यापारी ने राजा से मुलाकात कर कहा कि आपके पास कई सारे मंत्री है और उसने इन मंत्रियों की बुद्धिमानी के बारे में काफी कुछ सुना हुआ है।
इस व्यापारी ने राजा से अनुमति मांगी कि वो उनके मंत्रियों के ज्ञान की परीक्षा लेना चाहता है। राजा ने भी उस व्यापारी की बात मान ली और कहा कि वो उनके मंत्रियों की बुद्धिमानी की परीक्षा ले सकते है।
फिर क्या था, व्यापारी ने राजा को 3 गुडि़या दी। ये तीनों गुडि़या दिखने में एक जैसी थी। गुडि़या राजा के देने के बाद व्यापारी ने राजा से कहा कि आपके मंत्री मुझे 30 दिन के अंदर, एक जैसी दिखने वाली इन गुडि़यों में क्या अंतर है, ये बताएं।
राजा ने भी व्यापारी की बात मानते हुए अपने राज्य के मंत्रियों को बुलाया और उन्हें ये कार्य करने को दिया। हालांकि राजा ने तेनाली रामा को ये कार्य नहीं सौंपा था लेकिन लंबे समय तक कोई भी मंत्री ये नहीं बता पाया कि गुडि़यों में क्या अंतर है। फिर राजा ने यही कार्य तेनाली रामा को सौंपा और जैसे ही 30 दिन पूरे हो गए, वो व्यापारी राजा के दरबार में अपनी चुनौती का जवाब मांगने आया।
फिर क्या था, तेनाली रामा ने उस व्यापारी को कहा कि इन तीन गुडि़यों में से एक गुडि़या अच्छी है, एक ठीक-ठाक है जबकि एक बहुत बुरी है। तेनाली रामा के इस जवाब को सुनकर सब हैरान रह गए कि आखिर किस आधार पर तेनाली ने ये जवाब दिया। फिर तेनाली रामा ने सबके सामने एक गुडि़या के कान में एक तार डाली और वो तार गुडि़या के मुंह से निकल आई। फिर इसी तरह उन्होंने दूसरी गुडि़या के कान में तार डाली और वो तार उस गुडि़या के दूसरे कान से निकल गई। और अंतिम गुडि़या के कान में तार डालने पर वो तार किसी भी जगह से बाहर नहीं निकली।
जिसके बाद तेनाली रामा ने कहा कि जिस गुडि़या के मुंह से तार बाहर निकली है वो गुडि़या बुरी है। क्योंकि उसको अगर कोई कुछ बताएगा, तो वो सबको उस बात की जानाकरी दे देगी। वही जिस गुडि़या के कार से तार निकली वो गुडिया ठीक-ठाक है, क्योंकि अगर उसे कोई कुछ बताएगा तो वो उसको ध्यान से नहीं सुनेगी। वहीं जो आखिरी गुडि़या है, उसे कोई कुछ बताएगा तो वो उसे अपने दिल के अंदर रखेगी। इसलिए वो गुडि़या अच्छी है। इस तरह से तेनाली रामा द्वारा दिए गए जवाब को सुनकर राजा के साथ-साथ वो व्यापारी भी हैरान रह गया।
लेकिन तेनाली यहां पर ही नहीं रूके, उन्होंने इन गुडि़या के बारे में कहा कि पहली गुडि़या उन लोगों में से है जो कि ज्ञान सुनकर लोगों में बांटती है, दूसरी गुडि़या उन लोगों में से है जिनको जो सिखाया जाता है उन्हें वो समझ नहीं आता है और आखिरी गुडिया उन लोगों में से है जो कि ज्ञान को अपने तक ही सीमित रखती है। तेनाली के इस जवाब को भी सुनकर राजा काफी खुश हुए। उस व्यापारी को भी समझ आ गया कि उसने जो राजा के मंत्री की बुद्धिमानी के बारे में सुना था, वो एकदम सही था।
बोले हुए शब्द वापस नहीं आते।
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया। उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा।
संत ने किसान से कहा, “तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो, और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो।” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया।
तब संत ने कहा, “अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ।”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे। और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा। तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते।
इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते! हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, और मांगनी भी चाहिए, पर Human Nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं Hurt हो ही जाता है।
जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है। खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए।
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