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तीन ठग

Teen Thagh Inspirational Story in Hindiमेरे एक मित्र स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया में वरिष्‍ठ पद से सेवानिवृत्‍त हुये। उन्‍होंने जीवन में लाबीइगं के बारे में बताया कि इसके बिना जीवप में उननति करना आज के परिप्रेक्ष्‍य में आसान नहीं है।

उन्‍होंने एक दृष्‍टांत बताया। एक गांव में एक पंडित जी किसी जजमान के यहॉं से पूजापाठ करा के आ रहे थे। जजमान ने प्रसननतापूर्वक एक गाय दक्षिणा के रूप पंडित जी को प्रदान की। गाय लेकर खुशी-खुशी पंडित जी अपने घर जा रहे थे। रास्‍ते में उन्‍हें एक व्‍यक्ति मिला, जिसने पंडित जी से बातचीत के दौरान बताया कि यह गाय नहीं वरन् एक गधी है, जिसे आप गलती से गाय समझ रहे है।

पंडित जी ने कहा- मेरे जजमान ने मुझे गाय दक्षिणा में दी है, यह गधी नहीं है।

थोड़ी दूर चलने पर प‍ंडित जी को एक और व्‍यक्ति मिला। उसने भी पंडित जी से कहा, यह गाय नहीं गधी है। पंडित जी ने उसकी भी बात नहीं मानी। आगे जाकर पंडित जी को एक तीसरा व्‍यक्ति मिला। उसने भी पंडित जी को समझाया कि यह गाय नहीं है वरन् गधी है। भले ही यह भी दूध देती है और गाय के समान पूछ है।

अब पंडित जी को अपने साथ के जानवर पर शक हुआ कि अगर यह गधी है, तो घर तथा गांव वाले मेरा मजाक बनायेगे। गांव में बहुत बदनामी होगी, इससे अच्‍छा है कि इस जानवर को इस व्‍यक्ति को दे देना ही ठीक होगा। यह सोचते-सोचते अंत में पंडित जी ने साथ के जानवर अर्थात गाय को गधी समझ कर तीसरे व्‍यक्ति को दे दिया।


बुद्धिमानी का रहस्‍य

Budhimani Ka Rahasiya Kahaniगांव में एक गरीब किसान रहता था। एक दिन राजा वहॉं से गुजर रहा था। उसने किसान को बुलाया और उससे पूछा तुम कितने पैसे कमा लेते हो और उन्‍हें कैसे खर्च करते हो? किसान ने कहा- महाराजा, मैं रोज एक रूपया कमाता हूँ। पहले एक चौथायी भाग खाता हूँ, दूसरे को उधार देता हूँ, तीसरे को वापस दे देता हूँ, चौथे को फेंक देता हूँ। क्‍या तुम इसे समझा सकते हो? राजा ने पूछा। महाराज पहले चौथाई भाग को मैं अपने भोजन के लिए खर्च करता हूँ, दूसरे को बच्‍चों पर खर्च करता हूँ, तीसरे को अपने माता-पिता पर खर्च करता हूँ एवं चौथे भाग को गरीबों में बांट देता हूँ।

किसान का जवाब सुनकर राजा ने कहा- जब तुम मेरे चेहरे को सौ बार देख लो, तब तक इस पहेली का जवाब बताना नहीं।

अगले दिन राजा ने वही पहेली अपने मंत्रियों से पूछी। सब चुप रहे। राजा ने उन्‍हें एक दिन का समय दिया। एक मंत्री को पता चला कि कुछ दिन पहले राजा किसी किसान से मिले थे। वह जवाब के लिए गांव को चल दिया। किसान ने जवाब देने से इंनकार कर दिया। मंत्री ने सौ मुद्राये निकाल कर किसान को दी। मुद्राओं के ऊपर राजा का चेहरा बना हुआ था। किसान की मदद से मंत्री ने पहेली का जवाब जान लिया।

यह जानकर राजा बहुत क्रोधित हुआ। वह किसान के पास पहुँचा। तुमने ऐसा क्‍यों किया? आप के कथनानुसार जवाब देने से पहले मैंने आपका चेहरा सौ बार देखा। तुमने मेरा चेहरा सौ बार कैसे देखा? महाराज, इन मुद्रओं पर आपका चेहरा बना था। राजा किसान की बात सुनकर अत्‍यंत प्रसन्‍न हुआ और उसे अनेक उपहार दिये।


जगंल की आग

एक बार एक जंगल में आग लगी गयी। सभी आग बुझाने में जुट गए। जिसके हाथ में जो पात्र आया, उसमें पानी भरकर आग में डालने लगा। सभी को आग बुझाने में जुटा देख, एक नन्‍हीं गौरैया भी अपनी चोंच में पानी भर-भर कर आग में डालने लगी।

Jangal Ki Aag Motivational Story in Hindi

एक कौआ देर एक सुरक्षित डाल पर बैठा तमाशा देख रहा था। वह गौरैया के पास आकर बोला- नन्‍ही गौरैया, क्‍या तुम समझती हो कि तुम्‍हारी नन्‍हीं चोंच का बूंद भर पानी इस भयंकर आग को बुझाने में कोई सहायता कर पायेगा।

गौरैया ने जवाब दिया- यह तो मैं जानती हूँ, परंतु यदि कभी इस आग के बारें में बाते होगी, तो मेरा नाम आग लगाने वालों अथवा तमाशा देखने वालों में नहीं, बल्कि आग बुझाने वालों में लिया जायेगा। इस बात पर कौए को अपनी कही बात पर शर्मिदगी हुई।

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