मूर्ख मित्र – बंदर और राजा की कहानी!

पण्डितोऽपि वरं शत्रुर्न मूर्खो हितकारकः हितचिंतक मूर्ख की अपेक्षा अहितचिंतक बुद्धिमान अच्छा होता है। किसी राजा के राजमहल में एक बंदर सेवक के रूप में रहता था। वह राजा का बहुत विश्वासपात्र और भक्त था। अंतःपुर में ही वह बेरोक-टोक जा सकता था। एक दिन राजा सो रहे थे और बंदर पंखा झेल रहा था, … Read more

जैसे को तैसा – लोहे की तराजू की! पंचतंत्र की प्रेरक कहानी!

तुलां लोहसहस्त्रस्य यत्र खादन्ति मूषिकाः राजन्स्तत्र हरेच्छ्येनो बालकं नात्र संशयः जहां मन भर लोहे की तराजू को चूहे खा जाएं वहां की चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिया का लड़का रहता था। धन की खोज में उसने परदेस जाने का विचार किया। उसके घर में … Read more

करने से पहले सोचो! – बगुलों और सांप की पंचतंत्र कहानी

उपायं चिन्तयेत्प्रज्ञास्त्थाSपायं च चिन्तयेत्। उपाय की चिन्ता के साथ, तज्जन्य अपाय या दुष्परिणाम की भी चिन्ता कर लेनी चाहिए। जंगल के एक बड़े वटवृक्ष की खोल में बहुत-से बगुले रहते थे। उसी वृक्ष की जड़ में एक सांप भी रहता था। वह बगुलों के छोटे-छोटे बच्चों को खा जाता था। एक बगुला सांप द्वारा बार-बार … Read more

मित्र- द्रोह का फल – दो मित्रों की पंचतंत्र कहानी!

किं करोत्येव पाण्डित्यमस्थाने विनियोजितम् अयोग्य को मिले ज्ञान का फल विपरीत ही होता है। किसी स्थान पर धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो मित्र रहते थे। एक दिन पापबुद्धि ने सोचा कि धर्मबुद्धि की सहायता से विदेश में जाकर धन पैदा किया जाए दोनों ने देश-देशान्तरों मैं घूमकर प्रचुर धन पैदा किया। जब वे वापस … Read more

शिक्षा का पात्र – मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी!

उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे जने। जिसको तिसको उपदेश देना उचित नहीं। किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का एक जोड़ा रहता था। अपने घोसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे। सर्दियों का मौसम था। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात में ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा … Read more

सीख न दीजे बानरा – चिड़िया और मूर्ख बंदर की कहानी!

उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये। उपदेश से मूर्खों का क्रोध और भी भडक उठता है, शान्त नहीं होता। किसी पर्वत के एक भाग में बन्दरों का दल रहता था। एक दिन हेमन्त ऋतु के दिनों में वहां इतनी बर्फ पड़ी और ऐसी हिम वर्षा हुई कि बंदर सर्दी के मारे ठिठुर गए। कुछ बंदर … Read more

कुटिल नीति का रहस्‍य – चतुर गीदड़ और शेर की कहानी!

परस्‍य पीडनं कुर्वन् स्‍वार्थसिद्धिं च पण्डित: गूढबुद्धिर्न लक्ष्‍मेत वने चतुरहो यथा।। स्‍वार्थ-साधन करते हुए कपट से भी काम लेना पड़ता है। किसी जंगल में वज्रदंष्ट्र नाम का शेर रहता था। उसके दो अनुचर, चतुरक गीदड़ और क्रव्यमुख भेड़िया, हर समय उसके साथ रहते थे। एक दिन शेर ने जंगल में बैठी हुई ऊंटनी को मारा। … Read more

एक और एक ग्यारह – चिड़िया और हाथी की पंचतंत्र कहानी!

बहूनामप्‍यसराणां समवायो हि दुर्जय: छोटे और निर्बल भी संख्‍या में बहुत होकर दुर्जेय हो जाते हैं। जंगल में वृक्ष की एक शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का जोड़ा रहता था। उनके अण्‍डे भी उसी शाखा पर बने घोंसले में थे। एक दिन मतवाला हाथी वृक्ष की छाया में विश्राम करने आया। वहाँ उसने अपनी सूंड़ में पकड़कर … Read more

दूरदर्शी बनो! – तीन मछलियों की पंचतंत्र की प्रेरक कहानी!

यद् भविष्‍यो विनश्‍यति ‘जो होगा देखा जाएगा’ कहने वाले नष्‍ट हो जाते है। एक तालाब में तीन मछलियॉं थी। अनागतविधाता, प्रत्‍युत्‍पन्‍नमति और यद्भविष्‍य। एक दिन मछियारों ने उन्‍हें देख लिया और सोचा,इस तालाब में खूब मछलियॉं हैं। आज तक कभी इसमें जाल भी नहीं डाला है, इसलिए यहाँ खूब मछलियॉं हाथ लगेंगी। उस दिन शाम … Read more

हितैषी की सीख मानो! – मूर्ख कछुए की कहानी Panchatantra Story in Hindi

सुहृदां हितकामानां न करोतीह यो वच:। सकूम इव दुर्बद्धि: काष्‍ठाद् भ्रष्‍टो विनश्‍यति। हितचिन्‍तक मित्रों की बात पर जो ध्‍यान नहीं देता, वह मूर्ख नष्‍ट हो जाता है। एक तालाब में कम्‍बुग्रीव नाम का कछुआ रहता था। उसी तालाब में प्रति दिन आने वाले दो हंस, जिनका नाम संकट और विकट था, उसके मित्र थे। तीनों … Read more

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