स्त्री का विश्वास! पंचतंत्र की प्रेरक कहानी!

  …कः स्त्रीणां विश्वसेन्नरः । अतिशय कामिनी स्त्री का विश्वास न करें। एक स्थान पर एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी बड़े प्रेम से रहते थे। किन्तु ब्राह्मणी का व्यवहार ब्राह्मण के कुटुम्बियों से अच्छा नहीं था। परिवार में कलह रहता था। प्रतिदिन की कलह से मुक्ति पाने के लिए ब्राह्मण ने माँ-बाप, भाई-बहिन का साथ … Read more

गीदड़ गीदड़ ही रहता है! पंचतंत्र की प्रेरक शिक्षाप्रद कहानियां!

  यस्मिन् कुले त्वमुत्पन्नो गजस्तत्र न हन्यते। गीदड़ का बच्चा शेरनी का दूध पीकर भी गीदड़ ही रहता है। एक जंगल में शेर-शेरनी का युगल रहता था। शेरनी के दो बच्चे हुए। शेर प्रतिदिन हिरनों को मारकर शेरनी के लिए लाता था। दोनों मिलकर पेट भरते थे। एक दिन जंगल में बहुत घूमने के बाद … Read more

समय का राग कुसमय की टर्र – कुम्‍हार की पंचतंत्र कहानी!

स्वार्थमुत्सृज्य यो दम्भी सत्यं ब्रूते सुमन्दधीः । स स्वार्वाद् भ्रश्यते नूनं युधिष्ठिर इवापरः॥ अपने प्रयोजन से या केवल दम्भ से सत्य बोलनेवाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है। युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार एक बार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकराकर गिर गया। गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया। खून बहने … Read more

आज़माए को आज़माना – गधा और शेर की पंचतंत्र कहानी

जानन्नपि नरो दैवात्प्रकरोति विगर्हितम् सब कुछ जानते हुए भी जो मनुष्य बुरे काम में प्रवृत्त हो जाए, वह मनुष्य नहीं गधा है। एक घने जंगल में करालकेसर नाम का शेर रहता था। उसके साथ धूसरक नाम का गीदड़ भी सदा सेवाकार्य के लिए रहा करता था। शेर को एक बार एक मत्त हाथी से लड़ना … Read more

मेढक और साँप की मित्रता – पंचतंत्र की कहानी!

योऽमित्रं कुरुते मित्रं वीर्याऽभ्यधिकमात्मनः । स करोति न सन्देहः स्वयं हि विषभक्षणम्।। अपने से अधिक बलशाली शत्रु को मित्र बनाने से अपना ही नाश होता है। एक कुएँ में गंगदत्त नाम का मेढ़क रहता था। वह अपने मेढ़क दल का सरदार था। अपने बन्धु-बान्धवों के व्यवहार से खिन्न होकर वह एक दिन कुएँ से बाहर … Read more

चतुर्थ तन्त्र – लब्धप्रणाशम्! बंदर और मगरमच्छ की कहानी जामुन के पेड़ वाली।

लब्धप्रणाशम्! – बंदर और मगरमच्छ की कहानी जामुन के पेड़ वाली। एक बड़ी झील के तट पर सब ऋतुओं में मीठे फल देने वाला जामुन का वृक्ष था। उस वृक्ष पर रक्तमुख नाम का बन्दर रहता था। एक दिन झील से निकलकर एक मगरमच्छ उस वृक्ष के नीचे आ गया। बन्दर ने उसे जामुन के … Read more

स्वार्थ सिद्धि परम लक्ष्य – साँप और मेढकों की पंचतंत्र कहानी!

अपमानं पुरस्कृत्य मानं कृत्वा तु पृष्ठतः। स्वार्थमभ्युद्धरेप्राः स्वार्थभ्रंशो हि मूर्खता बुद्धिमानी इसी में है कि स्वार्थ-सिद्धि के लिए मानापमान की चिन्ता छोड़ी जाए। वरुण पर्वत के पास एक जंगल में मन्दविष नाम का बूढ़ा साँप रहता था। उसे बहुत दिनों से कुछ खाने को नहीं मिला था। बहुत भागदौड़ किए बिना खाने का उसने यह … Read more

बोलने वाली गुफा! शेर और गीदड़ की पंचतंत्र कहानी

अनागतं यः कुरुते स शोभते आनेवाले संकट को देखकर अपना भावी कार्यक्रम निश्चित करने वाला सुखी रहता है। एक जंगल में खरनखर नाम का शेर रहता था। एक बार इधर-उधर बहुत दौड़-धूप करने के बाद उसके हाथ कोई शिकार नहीं आया। भूख-प्यास से उसका गला सूख रहा था। शाम होने पर उसे एक गुफा दिखाई … Read more

मूर्ख मण्डली – सोने की बीट देने वाले पक्षी की पंचतंत्र कहानी!

सर्व वै मूर्खमण्डलम्। अचानक हाथ में आए धन को अविश्वासवश छोड़ना मूर्खता है। उसे छोड़ने वाले मूर्खमण्डल का कोई उपाय नहीं। एक पर्वतीय प्रदेश के महाकाय वृक्ष पर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था। उसकी विष्ठा में स्वर्ण-कण होते थे। एक दिन एक व्याप उधर से गुज़र रहा था। व्याघ को उसकी विष्ठा के … Read more

चुहिया का स्वयंवर! Panchtantra Ki Kahani in Hindi

स्वजातिः दुरतिक्रमा। स्वजातीय ही सबको प्रिय होते हैं। गंगा नदी के किनारे एक तपस्वियों का आश्रम था। वहाँ याज्ञवल्क्य नाम के मुनि रहते थे। मुनिवर एक नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहे थे कि पानी से भरी हथेली में ऊपर से एक चुहिया गिर गई। उस चुहिया को आकाश में बाज लिए जा … Read more

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