पुराणों में इस बात का विस्तार से उल्लेख मिलता है कि हमारे ऋषि-मुनि उपवास के द्वारा ही शरीर, मन एवं आत्मा की शुद्धि करते हुए अलौकिक शक्ति प्राप्त करते थे। वेद में कहा गया है- व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम् । दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते ॥ – यजुर्वेद 19/30 मनुष्य को उन्नत जीवन की योग्यता व्रत […]
माता-पिता की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म क्यों है ?
हिंदू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी सेवा माना गया है। शास्त्र मातृ देवो भव, पित्र देवो भव आदि सम्मानित वचनों से माता-पिता को देवताओं के समान पूजनीय मानते हैं। माता का स्थान तो पिता से अधिक माना गया है-जननी और जन्म-भूमि को तो स्वर्ग से भी श्रेष्ठ कहो गया है। प्रत्यक्ष में […]
स्वर्ग-नरक की कल्पना का आधार क्या है ?
मृत्यु के उपरांत प्राणी को स्वर्ग या नरक प्राप्त होता है, इस बात को संसार के समस्त धर्म एक स्वर से स्वीकार करते हैं। इस प्रकार मनुष्य को मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच में स्वर्ग-नरक भोगना पड़ता है। इस संबंध में गरुड्पुराण में बताया गया है कि यमलोक में ‘चित्रगुप्त’ नामक देवता हर एक जीव […]
पाप-पुण्य के बुरे और अच्छे फल भुगतने की धारणा क्यों है ?
शास्त्र में कहा है- ‘पापकर्मेति दशघा।’ अर्थात् पाप कर्म दस प्रकार के होते हैं। हिंसा (हत्या), स्तेय (चोरी), व्यभिचार-ये शरीर से किए जाने वाले पाप हैं। झूठ बोलना (अनृत), कठोर वचन कहना (परुष) और चुगली करना-ये वाणी के पाप हैं। परपीड़न और हिंसा आदि का संकल्प करना, दूसरों के गुणों में भी अवगुणों को देखना […]
कर्म फल भोगना पड़ता है इसकी मान्यता क्यों है ?
भारतीय संस्कृति में कर्मफल के सिद्धांत को विश्वासपूर्वक मान्यता प्रदान की गई है। मनुष्य को जो कुछ भी उसके जीवन में प्राप्त होता है, वह सब उसके कर्मों का ही फल है। मनुष्य के सुख-दुख, हानि-लाभ, जीत-हार, सुख-दुख के पीछे उसके कर्मों को आधार माना गया है। कर्म फल भोगने की अनिवार्यता पर कहा गया […]
सुंदरकांड का धार्मिक महत्व क्यों है ?
हिंदू धर्म के पूज्य ग्रंथ श्रीरामचरित मानस में रामकथा विस्तार से वर्णित की गई है। इसके सात खंडों में सुंदरकांड का महत्त्व सर्वाधिक माना गया है। सुंदरकांड के प्रति लोगों का अधिक आकर्षण होने का मुख्य कारण यह है कि यह समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इसीलिए आपने देखा होगा कि पूरी रामायण […]
गौ सेवा का धार्मिक महत्त्व क्यों?
हिंदू धर्म में गाय को देवता और माता के समान मानकर उसकी सेवा-शुश्रूषा करना मनुष्य का मुख्य धर्म माना गया है, क्योंकि उसके शरीर में सभी देवता निवास करते हैं। कोई भी धार्मिक कृत्य ऐसा नहीं है, जिसमें गौ की आवश्यकता नहीं हो। फिर चाहे वह यज्ञ हो, 16 संस्कार (षोडश संस्कार) हों या कोई […]
चरण स्पर्श और साष्टांग प्रणाम क्यों करते है इसका क्या महत्व है?
भारतीय संस्कृति में माता-पिता एवं गुरुजनों के नित्य चरण स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा सत्युग, त्रेता, द्वापर युग से होती हुई आज भी यथावत् बनी हुई है। अथर्ववेद में तो मानव-जीवन की आचार संहिता का एक खंड ही है, जिसमें व्यक्ति की प्रातः कालीन प्राथमिक क्रिया के रूप में नमन को प्रमुखता दी […]
मंदिरों में घंटा और घड़ियाल क्यों बजाते हैं इसका क्या महत्त्व है ?
जिस मंदिर से घंटा-घड़ियाल बजने की नियमित ध्वनि आती रहती है, उसे जाग्रत देव मंदिर कहा जाता है। मंदिरों के प्रवेश द्वारों पर घंटे लगाए जाते हैं, ताकि प्रभु का दर्शनार्थी इसे बजाकर अपने आने की सूचना दर्ज करा सके। आरती के समय घंटे-घड़ियाल बजाने से जो लोग मंदिर के आसपास होते हैं, उन्हें भी […]
मंदिर का निर्माण क्यों ? मंदिर क्यों बनाए जाते हैं ?
व्यक्ति किसी भी देश, संप्रदाय या वर्ग का क्यों न हो, दुनिया के समस्त प्राणियों में सिर्फ मनुष्य ने ही मंदिर (धर्म-स्थलों) का निर्माण किया है। भले ही अलग-अलग संप्रदाय के लोग अपने-अपने ढंग से, अलग-अलग तरह के मंदिर बनाकर उन्हें गुरुद्वारा, गिरजाघर (चर्च), मस्जिद आदि अलग-अलग नामों से पुकारते हों, किंतु इन्हें बनाने का […]
