Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

पाप-पुण्य के बुरे और अच्छे फल भुगतने की धारणा क्यों है ?

शास्त्र में कहा है- ‘पापकर्मेति दशघा।’ अर्थात् पाप कर्म दस प्रकार के होते हैं। हिंसा (हत्या), स्तेय (चोरी), व्यभिचार-ये शरीर से किए जाने वाले पाप हैं। झूठ बोलना (अनृत), कठोर वचन कहना (परुष) और चुगली करना-ये वाणी के पाप हैं। परपीड़न और हिंसा आदि का संकल्प करना, दूसरों के गुणों में भी अवगुणों को देखना […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

कर्म फल भोगना पड़ता है इसकी मान्यता क्‍यों है ?

भारतीय संस्कृति में कर्मफल के सिद्धांत को विश्वासपूर्वक मान्यता प्रदान की गई है। मनुष्य को जो कुछ भी उसके जीवन में प्राप्त होता है, वह सब उसके कर्मों का ही फल है। मनुष्य के सुख-दुख, हानि-लाभ, जीत-हार, सुख-दुख के पीछे उसके कर्मों को आधार माना गया है। कर्म फल भोगने की अनिवार्यता पर कहा गया […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

सुंदरकांड का धार्मिक महत्व क्यों है ?

हिंदू धर्म के पूज्य ग्रंथ श्रीरामचरित मानस में रामकथा विस्तार से वर्णित की गई है। इसके सात खंडों में सुंदरकांड का महत्त्व सर्वाधिक माना गया है। सुंदरकांड के प्रति लोगों का अधिक आकर्षण होने का मुख्य कारण यह है कि यह समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। इसीलिए आपने देखा होगा कि पूरी रामायण […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

गौ सेवा का धार्मिक महत्त्व क्यों?

हिंदू धर्म में गाय को देवता और माता के समान मानकर उसकी सेवा-शुश्रूषा करना मनुष्य का मुख्य धर्म माना गया है, क्योंकि उसके शरीर में सभी देवता निवास करते हैं। कोई भी धार्मिक कृत्य ऐसा नहीं है, जिसमें गौ की आवश्यकता नहीं हो। फिर चाहे वह यज्ञ हो, 16 संस्कार (षोडश संस्कार) हों या कोई […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

चरण स्पर्श और साष्टांग प्रणाम क्‍यों करते है इसका क्‍या महत्व है?

भारतीय संस्कृति में माता-पिता एवं गुरुजनों के नित्य चरण स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा सत्युग, त्रेता, द्वापर युग से होती हुई आज भी यथावत् बनी हुई है। अथर्ववेद में तो मानव-जीवन की आचार संहिता का एक खंड ही है, जिसमें व्यक्ति की प्रातः कालीन प्राथमिक क्रिया के रूप में नमन को प्रमुखता दी […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

मंदिरों में घंटा और घड़ियाल क्‍यों बजाते हैं इसका क्‍या महत्त्व है ?

जिस मंदिर से घंटा-घड़ियाल बजने की नियमित ध्वनि आती रहती है, उसे जाग्रत देव मंदिर कहा जाता है। मंदिरों के प्रवेश द्वारों पर घंटे लगाए जाते हैं, ताकि प्रभु का दर्शनार्थी इसे बजाकर अपने आने की सूचना दर्ज करा सके। आरती के समय घंटे-घड़ियाल बजाने से जो लोग मंदिर के आसपास होते हैं, उन्हें भी […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

मंदिर का निर्माण क्यों ? मंदिर क्यों बनाए जाते हैं ?

व्यक्ति किसी भी देश, संप्रदाय या वर्ग का क्यों न हो, दुनिया के समस्त प्राणियों में सिर्फ मनुष्य ने ही मंदिर (धर्म-स्थलों) का निर्माण किया है। भले ही अलग-अलग संप्रदाय के लोग अपने-अपने ढंग से, अलग-अलग तरह के मंदिर बनाकर उन्हें गुरुद्वारा, गिरजाघर (चर्च), मस्जिद आदि अलग-अलग नामों से पुकारते हों, किंतु इन्हें बनाने का […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

पूजा में कलश का महत्व और मांगलिकता का प्रतीक क्‍यों है ?

पौराणिक ग्रंथों में कलश को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। समुद्र मंथन के उपरांत कलश में अमृत की प्राप्ति हुई थी। ऐसा माना जाता है कि जगत्जननी सीताजी का आविर्भाव भी कलश से ही हुआ था। प्राचीन मंदिरों में कमल पुष्प पर विराजमान लक्ष्मी का दो हाथियों द्वारा अपने-अपने सूंड़ […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

ओ३म् (ॐ) का शास्त्रों में अधिक महत्त्व क्यों?

हिंदू संस्कृति में ॐ का उच्चारण अत्यंत महिमापूर्ण और पवित्र माना गया है। इसके उच्चारण में अ+उ+म् अक्षर आते हैं जिसमें ‘अ’ वर्ण ‘सृष्टि’ का द्योतक है, ‘उ’ वर्ण ‘स्थिति’ दर्शाता है जबकि ‘म’ ‘लय’ का सूचक है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शंकर) का बोध कराता है और इन तीनों शक्तियों का एक साथ […]

Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

स्वस्तिक कल्याण का प्रतीक क्यों ?

स्वस्तिक चिह (卐) में किसी धर्म विशेष की नहीं, बल्कि सभी धर्मों एवं समस्त प्राणि मात्र के कल्याण की भावना निहित है। इसीलिए हिन्दू धर्म में ही नहीं, अपितु विश्व के सारे धर्मों ने इसे परम पवित्र, मंगल करने वाला चिह्न माना है। प्रत्येक शुभ और कल्याणकारी कार्य में स्वस्तिक का चिह्न सर्वप्रथम प्रतिष्ठित करने […]

error: Content is protected !!