Two Friends Story in Hindi with Moral – Do Dost Ki Kahaniya

मगरमच्‍छ एवं बंदर की मित्रता

magarmach aur bandar ki kahani in hindiएक नदी किनारे मगरमच्‍छ व बंदर में बहुत मित्रता थी। दोनों एक साथ खेलते व खाते थे। दोनों की मित्रता से वन के अन्‍य जीवों को बड़ी ईर्ष्‍या होती थी। एक दिन मगरमच्‍छ की पत्‍नी ने कहा कि मुझे बंदर का दिल खाना है। पहले तो वह नहीं माना, पर पत्‍नी के आगे उसकी नहीं चली।

मगरमच्‍छ ने बंदर से कहा- तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ। आज मैं तुम्‍हें तालाब की सैर कराऊँगा। तालाब के बीच में पहुँच कर मगर ने अपनी पत्‍नी की इच्‍छा बंदर को बताई कि मेरी पत्‍नी तुम्‍हारा दिल खाना चाहती है।

यह सुन बंदर अंदर ही अंदर भयभीत हा गया पर तुरंत उसने अपनी जान बचाने की युक्ति बना ली। बंदर ने बहुत प्‍यार से मगरमच्‍छ को बताया- मैं अपना दिल पेड़ पर छोड़ आया हूँ। अत: तुम वापस किनारे पर चलो और फिर मैं पेड़ से अपना दिल लाकर तुम्‍हें दे दूँगा। मगरमच्‍छ बंदर को किनारे पर ले आया। बंदर कूद कर पेड़ पर चढ़ गया और उसने अपनी जान बचा ली।


दो मित्रों की कहानी

2 dost aur bhalu ki kahaniएक बार जंगल में दो मित्र जा रहे थे। दोनों बहुत अच्‍छे मित्र थे। एक साथ पढ़ते व खेलते थे। जंगल बहुत घना था। रास्‍ते में उन्‍हें बहुत बड़ा भालू मिला। एक मित्र जल्‍दी पेड़ पर चढ़ गया, परंतु दूसरे मित्र को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। उसे लगा कि अब भालू मुझे मारकर खा जायेगा। यह सोच कर वह भयभीत हो गया, तभी उसके मन में एक युक्ति आयी और वह पेड़ के नीचे आंखे बंद करके बेजान होकर लेट गया और उसने अपनी सांस भी रोक ली। भालू उसके चारों तरु टहला, फिर नजदीक से उसे सूंघने के लिये अपना मुंह कान की तरफ कर दिया। जब भालू आश्‍वस्‍त हो गया कि यह व्‍यक्ति जिन्‍दा नहीं है तो उसे छोड़कर जंगल में विलीन हो गया।

थोड़ी देर बाद उसका दूसरा मित्र ऊपर से उतर कर नीचे आया और उसने पूछा- यह भालू तुम्‍हारे कान में क्‍या कह रहा था?

मित्र ने जवाब दिया- दगाबाज दोस्‍त पर कभी विश्‍वास न करो।

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