Posted inHindu Riti Riwaj / Manyataye

अनिष्ट निवारण के लिए महामृत्युंजय मंत्र को विशेष महत्त्व क्यों?

शास्त्रों एवं पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति एवं अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय भगवान् शिव को प्रसन्न करने का मंत्र है। इसके प्रभाव से व्यक्ति मौत के मुंह में जाते-जाते बच जाते हैं, मरणासन्न रोगी भी महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से जीवन पा […]

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पारद शिवलिंग और शालग्राम पूजन का विशेष महत्व क्‍यों?

पारद शम्भु-बीज है। अर्थात् पारद (पारा) की उत्पत्ति महादेव शंकर के वीर्य से हुई मानी जाती है। इसलिए शास्त्रकारों ने उसे साक्षात् शिव माना है और पारदलिंग का सबसे अधिक महत्त्व बताकर इसे दिव्य बताया है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध होती है। वागभट्ट […]

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जानें हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा क्या है!

अद्भुत रामायण में एक कथा का उल्लेख मिलता है, जिसमें मंगलवार की सुबह जब हनुमानजी को भूख लगी, तो वे माता जानकी के पास कुछ कलेवा पाने के लिए पहुंचे। सीता माता की मांग में लगा सिंदूर देखकर हनुमानजी ने उनसे आश्चर्यपूर्वक पूछा- “माता! मांग में आपने यह कौन-सा लाल द्रव्य लगाया है?” इस पर […]

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गणेशजी को दूर्वा और मोदक चढ़ाने का महत्व क्‍यों?

भगवान् गणेशजी को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा (एक प्रकार की घास) अर्पण करने से वह प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। इसीलिए उन्हें दूर्वा चढ़ाने का शास्त्रों में महत्त्व बताया गया है। इसके संबंध में पुराण में एक कथा का उल्लेख मिलता है- “एक समय पृथ्वी पर अनलासुर […]

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सर्वप्रथम गणेश का ही पूजन क्यों? Why Ganesh Puja First?

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आरंभ करने के पूर्व गणेशजी की पूजा करना आवश्‍यक माना गया है, क्योंकि उन्‍हें विघ्‍नहर्ता व ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। इनके स्‍मरण, ध्‍यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्‍नों का विनाश होता है। वे शीघ्र प्रसन्‍न होने वाले बुद्धि के अधिष्‍ठाता […]

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