सुंदरता की मुरत हूं मैं
ममता की सुरत हूं मैं
हर बच्चा मेरी कोक से ही जन्मा है
फिर क्यों औरत को ही अबला समझा है
दुनिया का अविष्कार है मैंने किया
नहीं कोई अपराध है किया
फिर मुझे ही क्यों धिक्कारा जाता है
नहीं मुझे सवारा जाता है
मैं मानव हूं कोई दानव नहीं
ना ही मैंने किया कोई पाप
फिर मुझे ही क्यों मिला अभिशाप
लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, सरस्वती
मुझे यह कहकर पुकारते हैं
पर जब बात आती है मेरे सम्मान की
फिर मुझे ही जलाते हैं
मां,बहू बस यह रुप ही दुनिया को भाया है
पर जब बनकर आई मैं इस दुनिया में बेटी
मुझे मारा है
मुझे अपने जीवन को जीने नहीं दिया
एक समय ऐसा आया
कि सहने की हदे टूट गई
अंधकार की वो रात इस दिल में चूब गई
जिसकी इज्ज़त को घर की इज्जत माना
फिर उसी की इज्जत को उछाला
जिस बहू को घर की लक्ष्मी माना
उसी की कोक में उसकी बेटी को मारा
बस, अब बहुत हुआ
अब यह बात बतानी होगी
दुनिया को यह सीख सीखानी होगी
अपनी कथा इन बुजदिलों को सुनानी होगी
अब नारी की परिभाषा इनकी रुह में डालनी होगी
समुद्र का सार हूं मैं
शक्ति का आधार हूं मैं
दुनिया को जन्म देने वाला
संसार हूं मैं
सरस्वती भी हूं मैं और दुर्गा भी
लक्ष्मी हूं मैं और काली भी
अंत भी मैं हूं और अंनत भी
मेरे सम्मान पर चोट पहुंचाई है
मुझ में ज्वाला जगाई है
इस ज्वाला की गर्माहट तुम
सहन नहीं कर पाओगे
एक दिन भस्म हो जाओगे
छू कर के तो देखो मुझे
दिल ही दिल में काप जाओगे
अगर अग्नि परीक्षा दे सकती हूं
तो उसी अग्नि में भस्म भी कर सकती हूं
युगों युगों से मेरे सम्मान में हुई है लड़ाई
उठालो इतिहास
देखो रामायण और महाभारत की गहराई
निर्माण किया है शृषिट का मैंने
विनाश भी मैं ही करुंगी
अब तक तो नारी के रूप में थी
अब भवानी के रूप में आऊंगी
जब जब नारी बनेंगी भवानी
याद करेंगी दुनिया सारी
अब तक जो दर्द स्विकार किया है
उसे तिरस्कार भी मैं ही करुंगी
नारी नहीं है कोई चीज छोटी
निर्माण का है रुप
विनाश की है स्तुति
मेरा हर रुप बहुत खास है
मेरे हर रुप में देवताओं का वास है
चाहे वो बहन का हो या बेटी का
सम्मान देना आपका काम है
अब इस दुनिया को जवाब मैं दुंगी
मैंने चुडिया नहीं पहनी कहने वालों को समझाऊंगी
चुडिया इसलिए नहीं पहनी, क्योंकी चुडिया पहनने की
ताकत हम रखते हैं
मर्द को दर्द इसलिए नहीं होता क्योंकि दर्द सहने की हिम्मत भी हममें है
अरे लड़की की तरह क्यों रो रहा है
जनाब लड़की, अभी रोइ कहा है
जिस दिन रो गई आप देखने के लिए नहीं होगे
मैं एक मां हूं
मैं एक बेटी हूं
मैं एक बहन हूं
मैं एक लड़की हूं
मैं कोई बेचारी नहीं
मैं एक नारी हूं!
लेखिका
भूमि भारद्वाज
bhoomibhardwaj102@gmail.com
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