बरसाल की एक रात – Inspirational short story in hindi with moral
एक महिला रात में अकेले अपनी मोटर में जा रही थी। तभी भीषण पानी बरसने लगा तथा उसकी कार बंद हो गयी। उसे घर पहुँचने की बहुत जल्दी थी। बरसान की राज डरावनी थी। दूर-दूर तक कोई बस्ती नहीं थी, नही कोई पास में मोटर दिखाई दे रही थी। तभी उसे एक मोटर आती हुई दिखाई दी। उसने उसे हाथ देकर रोका व उसे किसी सुरक्षित जगह तक छोड़ने की विनती की।
दूसरी मोटर के चालक ने उसे अपनी कार में बैठाया तथा टैक्सी स्टैंड तक पहुँचा दिया। इसी बीच महिला ने उसका नाम व पता अपनी डायरी में नोट कर दिया। कुछ दिनों के बाद उस अजनबी वाहन चालक को एक पार्सल प्राप्त हुआ। महिला ने उसे धन्यवाद देते हुये लिखा कि उसकी सहायता के कारण वह अपने पति जो कि अपने जीवन के अंतिम समय में था, से मिल सकी। इसके लिये वह अजनबी को दिल से धन्यवाद दे रही है और ईश्वर से उसके लिये आशीर्वाद की कामना करती है। पार्सल में एक अच्छा सा कैमरा था।
जरूरत पर लोगों की सहायता करना हमारे जीवन का सर्वप्रथम कायर् होना चाहिए। मदद हो जाने पर हमें अजनबी को भरपूर धन्यवाद देना भूलना नहीं चाहिये। अगर आप किसी भी सहायता करते हैं तो कोई अन्य भी आपकी सहायता जीवन में अवश्य करेगा।
संस्कार! – Very heart touching motivational story in hindi
लगभग 10 साल का एक बालक राधा का गेट बजा रहा था। राधा ने बाहर आकर पूछा- क्या है, क्यों बेल बजा रहे हो? बालक बोला- आंटी जी क्या मैं आपका गार्डन साफ कर दूं?
राधा- नहीं, हमें साफ नहीं कराना। फिर हाथ जोड़कर दयनीय स्वर में वह बालक बोला, आंटी प्लीज साफ करवा लीजिए, मैं बहुत अच्छे से साफ करता हूँ, उसकी बात सुनकर राधा द्रवित हो उठी और उस बच्चे को गार्डन साफ करने के बदले कितना पैसा लेगा जब पूछा तो वह बालक बोला- आंटी जी पैसा नहीं चाहिए, आप मुझे बस खाना दे देना। राधा को लगा कि बच्चा बहुत भूखा है, इसलिए खाना मांग रहा होगा। मैं इसे पहले कुछ खाना दे देती हूँ और थोड़ी देर में राधा खाना लेकर आयी और बोली, लड़के पहले तू खाना खा ले, फिर काम करना। बच्चा बोला, नहीं आंटी जी, पहले मैं काम खत्म कर लूं, फिर आप खाना दे देना। ठीक है, कहकर राधा अपने काम में मशगूल हो गई। एक घंटे में उस लड़के ने अपना काम निपटा लिया और आंटी को दिखाकर बोला, देखिए आंटी, अच्छी सफाई हुई है?
राधा उसके बढि़या काम को देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुई। उसके काम से खुश होकर राधा तुरंत भीतर से खाना लेकर आयी और उस लड़के को दिया। बालक ने जेब से एक थैला निकाला और खाने को उस थैले में रख लिया, ये देख राधा को आश्चर्य हुआ और बोली- तुम्हें तो भूख लगी थी न, तो फिर ये खाना पैक क्यों कर लिया, तू खाना यही खा ले, जरूरत होगी तो और भी दूंगी। बालक बोला, नहीं आंटी मेरी बीमार मां घर पर है, सरकार अस्पताल से दवा तो मिल गयी है, पर डॉं. साहब ने कहा है कि दवा खाली पेट नहीं खाना है। राधा उस बालक की बात सुनकर भावुक हो गई और उसकी आंखो से आंसू निकलने लगे। उसने उस मासूम बालक को खुद अपने हाथों से खाना खिलाया और उसकी मां के लिए ताजी गर्म रोटियां बनाई। बालक के साथ उसके मां के पास गई और कहा- बहन, आप बहुत अमीर हो, जो दौलत आपने अपने बेटे को दी है, वो हम अपने बच्चों को नहीं दे पाए। आप धन्य हैं, आपका बच्चा बड़ा ही खुद्दार है।
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