हम ऋषि-मुनियों के श्रीमुख से सुनते आए हैं कि जिस देवी-देवता में जिस गुण का आरोप किया जाता था, उसे उसी गुणवाला कोई पशु या पक्षी वाहन के रूप में दिया गया था। इसीलिए उनके वाहन भी पृथक् पृथक् हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में हर एक देवी या देवता के विशेष वाहन का ब्यौरा मिलता […]
Category: Hindu Riti Riwaj / Manyataye
जानें हिंदू धर्म की मान्यताएं एवं रीति रिवाज, Hindu Riti Riwaj Manyataye in Hindi, हिन्दुओं के रीति-रिवाज तथा मान्यताएं – धार्मिक एवं पौराणिक प्रमाणों सहित
शनिदेव लंगड़े क्यों है और शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं ?
शनिदेव दक्ष प्रजापति की पुत्री संज्ञा देवी और सूर्यदेव के पुत्र हैं। यह नवग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाला ग्रह है। इसका प्रभाव एक राशि पर ढाई वर्ष और साढ़े साती के रूप में लंबी अवधि तक भोगना पड़ता है। शनिदेव की गति अन्य सभी ग्रहों से मंद होने का कारण इनका लंगड़ाकर चलना […]
पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री वस्तुओं का महत्त्व क्यों होता है ?
देवपूजन में पान-सुपारी, सिक्का, पानी, अक्षत (चावल), चंदन, रोली, पुष्प, दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, कुंकुम, हलदी, प्रसाद (मिष्ठान), फल आदि प्रयुक्त होते हैं। इन सबका अपना-अपना महत्त्व है। पान-सुपारी और सिक्का ऐसी वस्तुएं हैं, जिनके बिना पूजा संपन्न नहीं हो सकती। पूजा में पान और सुपारी का प्रयोग नारियल की तरह उत्तर-दक्षिण की एकता का प्रतीक […]
चारों धामों की यात्रा का धार्मिक महत्त्व क्यों है ?
जिस प्रकार हिन्दू संस्कृति के चार वेद हैं, चार वर्ण हैं, चार दिशाएं हैं, ठीक उसी प्रकार चार धाम हैं। भारत की पवित्र भूमि में पूर्व में जगन्नाथ पुरी, पश्चिम में द्वारका पुरी, दक्षिण में रामेश्वरम् और उत्तर में बद्रीनाथ धाम स्थापित हैं। जगन्नाथ पुरी को अनेक वैष्णव संतों ने अलौकिक तीर्थ धाम माना है। […]
तीर्थों का महत्त्व क्यों है और तीर्थ यात्रा क्यों करनी चाहिए?
शास्त्रकार ने कहा है- तारयितुं समर्थः इति तीर्थः। अर्थात् जो तार देने, पार कर देने में समर्थ होता है, वह तीर्थ कहलाता है। तरना सद्विचारों, सत्कर्मों एवं संतों के सत्संग से ही हो सकता है। जिन स्थानों में देवी-देवताओं की शक्तियों का प्रभाव, प्राकृतिक सौंदर्य, विशेष तेजोमय जल, संतों, महात्माओं का सत्संग आदि प्राप्त होते […]
जानें भगवान विष्णु के दस अवतार कौन-कौन से हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता 4/7-8 में भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥ हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूं। अर्थात् साकार रूप में लोगों के […]
प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में ही कुंभ का मेला क्यों ?
इन चार मुख्य तीर्थ स्थानों पर 12-12 वर्षों के अंतर से लगने वाले कुंभ पर्व में स्नान और दान का ग्रहयोग बनता है। इस अवसर पर न केवल भारतवर्ष के हिंदू भक्त, बल्कि बाहर के देशों से भी हिंदू कुंभ स्नान के लिए आते हैं। सामान्य तौर पर प्रति 6 वर्ष के अंतर से कहीं-न-कहीं […]
विश्वकर्मा भगवान की पूजा क्यों करते हैं ?
मशीनरी से संबंधित व्यवसायों में विश्वकर्मा की प्रार्थना करके ही कार्यारंभ किया जाता है, ताकि कारखाने में कोई दुर्घटना न हो और कार्य में निरंतर सफलता मिले, यही विश्वकर्मा पूजन का रहस्य है। प्रभु ही विश्व के निर्माता हैं। इसलिए प्रभु का सर्वोपरि नाम विश्वकर्मा है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर […]
जानें यमराज का दूसरा नाम धर्मराज क्यों है ?
प्राणी की मृत्यु या अंत को लाने वाले देवता यम हैं। यमलोक के स्वामी होने के कारण ये यमराज कहलाए। चूंकि मृत्यु से सब डरते हैं, इसलिए यमराज से भी सब डरने लगे। जीवित प्राणी का जब अपना काम पूरा हो जाता है, तब मृत्यु के समय शरीर में से प्राण खींच लिए जाते हैं, […]
बुरी नजर क्या होती है और इसके लगने की मान्यता क्यों?
संसार के लगभग सभी देशों में बुरी नजर लगने के प्रभाव को जाना जाता है। जीवित प्राणियों पर ही नहीं वरन् निर्जीव पदार्थ तक बुरी नजर लगने पर विकारग्रस्त हो जाते हैं। सुंदर वस्तुएं खो जाती हैं, नष्ट हो जाती हैं। यहां तक कि सुंदर प्रतिमा बुरी नजर के प्रभाव से खंडित होती देखी गई […]
