शरणागत के लिए आत्मोत्सर्ग – कपोत व्याध की पंचतंत्र कहानी!

प्राणैरपि त्वया नित्यं संरक्ष्यः शरणाऽऽगतः। शरणागत शत्रु का अतिथि के समान सत्कार करो, प्राण देकर भी उसकी तृप्ति करो। एक जगह एक लोभी और निर्दय व्याध रहता था। पक्षियों को मारकर खाना ही उसका काम था। इस भयंकर काम के कारण उसके प्रियजनों ने भी उसका त्याग कर दिया था। तब से वह अकेला ही … Read more

शरणागत को दुतकारो नहीं! हंसों की पंचतंत्र कहानी!

भूतान् यो नानुगृह्णा स्यात्मनः शरणाऽऽगतान् । भतार्थास्तस्य नश्यन्ति हंसाः पद्मवने यथा ॥ जो शरणागत जीव पर दया नहीं करते, उनपर दैव की भी दया नहीं रहती। एक नगर में चित्ररथ नाम का राजा रहता था। उसके पास एक पद्मसर नाम का तालाब था। राजा के सिपाही उसकी रखवाली करते थे। तालाब में बहुत से स्वर्णमय … Read more

टूटी प्रीति जुड़े न दूजी बार! ब्राह्मण किसान और साँप की कहानी!

भिन्नश्लष्टा तु या प्रीतिर्न सा स्नेहेन वर्धते। एक बार टूटकर जुड़ी हुई प्रीति कभी स्थिर नहीं रह सकती। एक स्थान पर हरिदत्त नाम का ब्राह्मण रहता था। पर्याप्त भिक्षा न मिलने से उसने खेती करना शुरू कर दिया था। किन्तु खेती कभी ठीक नहीं हुई। किसी न किसी कारण फसल खराब हो ही जाती थी। … Read more

बहुतों से बैर ना करो! नाग और चींटियों की पंचतंत्र कहानी

बहवो न विरोद्धव्या दुर्जया हि महाजनः बहुतों के साथ विरोध न करें! एक वल्मीक में बहुत बड़ा काला नाग रहता था। अभिमानी होने के कारण उसका नाम था अतिदर्प। एक दिन वह अपने बिल को छोड़कर एक और संकीर्ण बिल से बाहर जाने का यत्न करने लगा। इससे उसका शरीर कई स्थानों से छिल गया। … Read more

धूतों के हथकंडे! ब्राह्मण और तीन ठगों की पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानी

बहुबुद्धिसमायुक्ताः सुविज्ञानाश्छलोत्कटाः। शक्ता वञ्चयितुं पूर्ता ब्राह्मणं छगलादिव।। धूर्तता और छल से बड़े-बड़े बुद्धिमान और प्रकाण्ड पंडित भी ठगे जाते हैं। एक स्थान पर मित्रशर्मा नाम के धार्मिक ब्राह्मण रहते थे। एक दिन माघ महीने में, जब आकाश पर थोड़े-थोड़े बादल मंडरा रहे थे, वह अपने गाँव से चले और दूर के गाँव में जाकर अपने … Read more

बिल्ली का न्याय! Panchatantra Story in Hindi

क्षुद्रमर्थापतिं प्राप्य न्यायान्वेषणतत्परौ। उभावपि क्षयं प्राप्ती पुरा शशकपिञ्जलौ॥ नीच और लोभी को पंच बनाने वाले दोनों पक्ष नष्ट हो जाते हैं। एक जंगल के जिस वृक्ष की शाखा पर मैं रहता था उसके नीचे के तने में एक खोल के अन्दर कपिंजल नाम का तीतर भी रहता था। शाम को हम दोनों में खूब बातें … Read more

बड़े नाम की महिमा! हाथी और खरगोश की पंचतंत्र कहानी

त्र्यपदेशेन महतां सिद्धि सञ्जायते परा। बड़े नाम के प्रताप से ही संसार के काम सिद्ध हो जाते हैं। एक वन में चतुर्दन्त नाम का महाकाय हाथी रहता था। वह अपने हाथीदल का मुखिया था। बरसों तक सूखा पड़ने के कारण वहाँ के सब झील, तलैया, ताल सूख गए और पेड़ मुरझा गए। सब हाथियों ने … Read more

उल्लू का अभिषेक! – पंचतंत्र की कहानी

एक एव हितार्थाय तेजस्वी पार्थिवो भुवः एक राजा के रहते दूसरे को राजा बनाना उचित नहीं एक बार हंस, तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर, उल्लू आदि सब पक्षियों ने सभा करके यह सलाह की कि उनका राजा वैनतेय केवल वासुदेव की भक्ति में लगा रहता है, व्याधों से उनकी रक्षा का कोई उपाय नहीं करता, … Read more

तृतीया तंत्र : काकोलूकीयम् (कौवे और उल्लुओं की कहानी)

तृतीया तंत्र : काकोलूकीयम् दक्षिण देश में महिलारोप्य नाम का एक नगर था। नगर के पास एक बड़ा पीपल का वृक्ष था। उसकी घने पत्तों से ढकी शाखाओं पर पक्षियों के घोंसले बने हुए थे। उन्हीं में से कुछ घोंसलों में कौवों के बहुत-से परिवार रहते थे। कौवों का राजा वायसराज मेघवर्ण भी वहीं रहता … Read more

उड़ते के पीछे भागना! Panchatantra Friendship Stories in Hindi

  यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवाणि निषेवते । ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि ।। जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित के पीछे भटकता है, उसका निश्चित धन भी नष्ट हो जाता है। एक स्थान पर तीक्ष्णविषाण नाम का एक बैल रहता था। बहुत उन्मत्त होने के कारण उसे किसान ने छोड़ दिया था। अपने साथी बैलों … Read more

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