शरणागत के लिए आत्मोत्सर्ग – कपोत व्याध की पंचतंत्र कहानी!
प्राणैरपि त्वया नित्यं संरक्ष्यः शरणाऽऽगतः। शरणागत शत्रु का अतिथि के समान सत्कार करो, प्राण देकर भी उसकी तृप्ति करो। एक जगह एक लोभी और निर्दय व्याध रहता था। पक्षियों को मारकर खाना ही उसका काम था। इस भयंकर काम के कारण उसके प्रियजनों ने भी उसका त्याग कर दिया था। तब से वह अकेला ही … Read more