हिंदुओं के प्रत्येक धार्मिक उत्सवों, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों की शुरुआत में सर्वप्रथम नारियल को याद किया जाता है। इसे शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। देवी-देवताओं को नारियल की भेंट चढ़ाने का प्रचलन आम है। प्रत्येक शुभ कार्य में नारियल पर कुंकुम की पांच बिंदियां लगाकर कलश पर चढ़ाया या पूजन में रखा जाता है। किसी व्यक्ति को सम्मानित कर कुछ भेंट दी जाती है, तो उसके साथ पवित्रता का प्रतीक नारियल ऊपर रखकर दिए जाने की परंपरा है। कुछ प्रदेशों में, शरद पूर्णिमा की रात्रि को वरुण देव की पूजा में नारियल समर्पित करने का विशेष माहात्म्य माना जाता है।

Nariyal Shubh Samriddhi aur Samman Ka Prateek Kyo Hota Hai
Nariyal Shubh Samriddhi aur Samman Ka Prateek Kyo Hota Hai

आमतौर पर नारियल को फोड़कर ही उसे आराध्य देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है, लेकिन कुछ लोग मन्नत मानकर पूरा नारियल ही भेंट चढ़ाते हैं। नारियल को कुछ लोग शिव भगवान् का परम प्रिय फल भी मानते हैं, क्योंकि उसमें बनी हुई तीन आंखों को त्रिनेत्र का प्रतीक माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जहां मानव की बलि दी जाती थी, वहां नारियल की भेंट चढ़ा देने से बलि के समकक्ष ही फल की प्राप्ति होती है, क्योंकि इसे मानव सिर का पर्याय भी माना गया है। इसकी भेंट को रक्त की बलि के समान ही मान्यता प्रदान की गई है। तंत्र साधना के लिए भी नारियल एक महत्त्वपूर्ण फल है।

नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना जाता है। शास्त्रों की सीख के अनुसार व्यक्ति को नारियल की तरह ही ऊपर से कठोर तथा भीतर से नरम और दयालु होना चाहिए। ऊपर से कठोर आवरणयुक्त नारियल भीतर से नरम, मुलायम और अमृततुल्य जल लिए होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार नारियल के वृक्ष से जो भी मांगा जाता है, मिल जाता है। इसलिए इसे कल्पवृक्ष कहते हैं। नारियल दक्षिण में समुद्र के किनारे की भूमि में उगता है उत्तर में हरेक पूजा में नारियल का प्रयोग उत्तर-दक्षिण की एकता का प्रतीक भी है।

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