कुत्ते का वैरी कुत्ता! पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां

Kutte Ka Bairi Kutta Panchtantra Story in Hindi
Kutte Ka Bairi Kutta Panchtantra Story in Hindi

 

एको दोषो विदेशस्य स्वजातिद्विरुध्यते

विदेशी का यही दोष है कि यहाँ स्वाजातीय ही विरोध में खड़े हो जाते हैं।

एक गाँव में चित्राँग नाम का कुत्ता रहता है। वहाँ दुर्भिक्ष पड़ गया। अन्न के अभाव में कई कुत्तों का वंशनाश हो गया। चित्राँग ने भी दुर्भिक्ष से बचने के लिए दूसरे गाँव की राह ली। वहाँ पहुँचकर उसने एक घर में चोरी से जाकर भरपेट खाना खा लिया। जिसके घर खाना खाया था, उसने तो कुछ नहीं कहा लेकिन घर से बाहर निकला तो आस-पास के सब कुत्तों ने उसे घेर लिया। भयंकर लड़ाई हुई। चित्राँग के शरीर पर कई घाव लग गए चित्राँग ने सोचा, इससे तो अपना गाँव ही अच्छा है, जहाँ केवल दुर्भिक्ष है, जान के दुश्मन कुत्ते तो नहीं हैं।

यह सोचकर वह वापस आ गया। अपने गाँव आने पर उससे सब कुत्ते ने पूछा:- चित्रांग दूसरे गाँव की बात सुना, वह गाँव कैसा है? वहाँ के लोग कैसे हैं? वहाँ खाने-पीने की चीजें कैसी हैं?

चित्राँग ने उत्तर दिया:- मित्रों, उस गाँव से खाने-पीने की चीजें तो बहुत अच्छी हैं, और गृह-पत्नियॉं भी नरम स्वभाव की हैं; किन्तु दूसरे गाँव में एक ही दोष है, अपनी जाति के कुत्ते बड़े खूँखार हैं।

बन्दर का उपदेश सुनकर मगरमच्छ ने मन ही मन निश्चय किया कि वह अपने घर पर स्वामित्व जमाने वाले मगरमच्छ से युद्ध करेगा। अन्त में वह हुआ। युद्ध में मगरमच्छ ने उसे मार दिया और देर तक सुखपूर्वक उस घर में रहता रहा।

!! चतुर्थ तन्त्र समाप्त !!

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