शास्त्र मत है कि मौलि बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की अनुकंपा से कीर्ति और विष्णु की कृपा से रक्षा बल मिलता है तथा महेश दुर्गुणों का विनाश करते हैं। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं प्रशासन करने की क्षमता और सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है। शरीर विज्ञान की दृष्टि से मौलि बांधने से त्रिदोष वात, पित्त और कफ का शरीर पर आक्रमण नहीं होता, जिससे स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है। उल्लेखनीय है कि मौलि या कलावा बांधने की परंपरा तब से चली आ रही है, जब से दान देने में अग्रणी राजा बलि की अमरता के लिए वामन भगवान् ने उनकी कलाई में यह रक्षा सूत्र बांधा था। शास्त्रों में कहा गया है –

येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबलः । 
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल ॥
मौलि का शाब्दिक अर्थ है- सबसे ऊपर, जिसका तात्पर्य सिर से भी है। शंकर भगवान् के सिर पर चंद्रमा विराजमान होने के कारण उन्हें चंद्रमौलि भी कहा जाता है।
Also Read This:
