बहुत समय पहले एक डाकू गुरू नानक देव जी के पास आया और चरणों में गिर कर बोला- ”अब डाकू की जिंदगी से मैं बहुत दु:खी हूँ और इसे छोड़ना चाहता हूँ। मुझे सही राह दिखाइये। गुरू नानक देव जी ने कहा कि अगर तुम अच्छा इंसान बनना चाहते हो तो चोरी करना व सारे बुरे काम छोड़ दो।
वह पुन: उनके पास आया और बोला- ”नानक जी, चोरी करना व सारे बुरे काम मैं छोड़ नहीं पा रहा हूँ।” गुरू नानक जी ने बहुत सोच-विचार कर उससे कहा- ”दिन भर झूठ बोलने, चोरी करने और खराब काम करने के बाद, तुम बाद में सबके सामने अपने कार्यों का वर्णन करो।”
यह कार्य भी उससे नहीं हो पाया क्योंकि उसे अपने खराब कार्यों को लोगों से बताने में बहुत तकलीफ होती थी। धीरे-धीरे उसे अपने खराब कार्यों से घृणा होने लगी। एक दिन वह दु:खी मन से गुरू नानक देव जी के पास आया और कहा कि मैं जिस काम को आसान समझ रहा था, वह कठिन था। मुझे अपने ऊपर आत्मग्लानि आती थी। अत: मैंने समस्त गलत कार्य छोड़ दिये हैं।