एक परिवार में नेवला पला हुआ था। सारे लोग उसकी देखभाल करते और वह भी अत्यंत शालीनता के साथ परिवार में रहता था। एक बार समस्त परिवारजनों को किसी कार्य से बाहर जाना पड़ा और उन्होंने अपने छोटे बच्चे की देखभाल के लिए नेवला को वहां पर छोड़ा दिया।
उसी समय एक सांप वहां बच्चे के पास आ गया। उसे देखकर नेवले ने तुरंत सांप को मार डाला और बच्चे का जीवन बच गया। परिवार वाले जब वापस आये तो उन्होंने नेवले के मुंह पर खून लगा देखा। उन्हें शक हुआ कि शायद नेवले ने उनके बच्चे को मार डाला है। परिवार वालों ने तुरंत नेवले को इसकी सजा दे दी।
अर्थात् नेवले को बिना छानबीन किये मार डाला। बाद में परिवार वालो को बहुत दु:ख हुआ।
अत: जल्दबाजी में कोई कदम न उठाये, पहले छानबीन करें फिर कोई निर्णय लें।
शिक्षक और शिष्य
एक गुरुकुल से तीन युवक परीक्षा दे वापस लौट रहे थे। केवल धर्म की परीक्षा शेष थी, परंतु धर्म की परीक्षा नहीं ली गयी। आचार्य ने उन्हें उत्तीण घोषित कर प्रस्थान करने को कहा। तीनों युवक गुरुजनों को प्रणाम आदि कर वापसी की यात्रा पर निकल पड़े। गुरुकुल से थोड़ा ही आगे बढ़े थे तो सूर्य ढ़लने लगा। थोड़ी ही राह चले होंगे तो उन्होंने देखा कि राह में कांटे फैले पड़े हुए हैं।
पहला युवक पगडंडी से छलांग लगा कर चला गया। दूसरा युवक पगड़डी के बजाय खेत से होकर आगे बढ़ गया, परंतु तीसरा युवक कांटों को साफ करने लगा और राह में जितने भी कांटे थे, उन्हें अलग करने में लग गया। उसके मित्रों ने कहा, अब तुम किन झंझटों में उलझ गये हो। जल्दी से रास्ता पार करो और अपने घर की ओर शीघ्र पहुँचो।
इस पर तीसरे युवक ने कहा कि इसीलिए तो कांटे बीन रहा हूँ कि जब रात हो जायेगी तो अन्य यात्रियों को राह में कांटे दिखेंगे नहीं और वह घायल हो जायेंगे। उसके आचार्य तीनों की बातें सुन रहे थे। आचार्य ने तीसरे छात्र से कहा कि तुम धर्म की परीक्षा में उत्तीर्ण हो गये और तुम जाओ, संसार में फैले अंधकार को दूर करो।
तीसरे युवक को इस प्रकार का संदेश देकर आगे बढ़ने को कहा तथा दोनों युवकों को अपने साथ वापस गुरुकुल में ले गये और कहा कि तुम लोगों की शिक्षा अभी अपूर्ण है।
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