एक गांव में संत पुरूष के साथ एक चूहा भी रहता था। चूहा धीरे-धीरे संत पुरूष के बहुत करीब हो गया। एक दिन चूहे से संत पुरूष ने कहा – ” हम तुमसे बहुत प्रसन्न हैं, तुम जो भी चाहो, हमसे मांग लो।”
चूहे ने कहा – ” कृपया मुझे शेर बना दीजिये।” संत पुरूष ने अपनी तंत्र साधना से चूहे को शेर बना दिया। शेर बन कर चूहा अति प्रसन्न हुआ और जंगल में जाकर दूसरे छोटे वन प्राणियों को परेशान करने लगा।
जंगल के वन प्राणी शेर से बुहत दु:खी रहते थे। एक दिन वही शेर संत पुरूष की कुटिया में आ गया और उसने संत पुरूष को खाने की सोची। यह देखकर संत पुरूष को बड़ा आश्चर्य तथा दु:ख भी हुआ। उसने अपने मंत्रों द्वारा शेर को पुन: चूहा बना दिया।
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