बिना कारण कार्य नहीं! ब्राह्मण पति-पत्नी की कहानी

Brahmin Pati Patni Ki Panchatantra Kahani in Hindi

हेतुरत्र भविष्यति

हर कार्य के कारण की खोज करो,
अकारण कुछ भी नहीं हो सकता।

एक बार मैं चौमासे में एक ब्राह्मण के घर गया था।
वहां रहते हुए एक दिन मैंने सुना कि ब्राह्मण और ब्राह्मण-पत्नी में यह बातचीत हो रही थी:-

ब्राह्मण:- कल सुबह कर्क संक्रांति है, भिक्षा के लिए मैं दूसरे गांव जाऊंगा। वहां एक ब्राह्मण सूर्यदेव की तृप्ति के लिए कुछ दान करना चाहता है।

पत्नी:- तुम्हें तो भोजन योग्य अन्य कमाना भी नहीं आता। तेरी पत्नी होकर मैंने कभी सुख नहीं होगा, मिष्ठान नहीं खाए, वस्त्र और आभूषणों की तो बात ही करनी क्या कहनी।

ब्राह्मण:- देवी! तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए। अपनी इच्छा के अनुरूप धन किसी को नहीं मिलता। पेट भरने योग्य अन्न तो मैं भी ले ही आता हूं। इससे अधिक की तृष्णा का त्याग कर दो। अति तृष्णा के चक्कर में मनुष्य के माथे पर शिखा हो जाती है।

तब ब्राह्मण ने सूअर, शिकारी और गीदड़ की यह कथा सुनाई :

आगें पढें :- अति लोभ नाश का मूल – सूअर, शिकारी और गीदड़ की कहानी!

देखें सभी पंचतंत्र की प्रेरक कहानियां


Read All Motivational and Inspirational Stories in Hindi, Panchtantra Short Stories With Moral for Kids in Hindi, Panchtantra Ki Kahaniyan Bacchon Ke Liye

error: Content is protected !!