भोजन मुफ्त में नहीं मिलता! Moral Story in Hindi

किसी शहर में एक व्‍यक्ति था, वह हमेशा दुखी रहा करता था, उसे हमेशा ऐसा लगता था कि उससे दुखी व्‍यक्ति संसार में और कोई नहीं है।

एक बार एक राजा ने इतिहास की सारी समझदारी भरी बातों को लिखवाने का निर्णय लिया। ताकि आने वाली पीढि़यों तक उसे पहुंचाया जा सके। उन्‍होंने अपने सलहकारों को बुलाकर ये सारी बातें बतायी। सलाहकारों ने काफी मेहनत के बाद इतिहास की सारी समझदारी भरी बातों पर कई किताबें लिखी और राजा के समक्ष पेश किया गया। इतनी सारी किताबों को देखकर राजा को लगा की इतनी सारी किताबें लोग पढ़ नहीं पायेंगे इसीलिए उन्‍होंने अपने सलाहकारों को इसे और छोटा करके लाने को कहा। सलाहकारों ने इस पर फिर से काम किया और इस बार उन सारी किताबों को संक्षिप्‍त करके एक किताब में तब्‍दील करके फिर से राजा के समक्ष पेश किया गया।

राजा हो वो एक किताब भी काफी मुश्किल लगी। सलाहकारों ने फिर से उस पर काम किया और इस बार उस किताब को एक चैप्‍टर (अध्‍याय) में तब्‍दील कर फिर से राजा के समक्ष पेश किया पर ये भी राजा को काफी लंबा लगा। राजा को कुछ ऐसा चाहिए था जिसे आने वाली पीढि़यॉं समझ सकें। फिर से सलाहकारों ने उस पर काम करके एसे सिर्फ एक पन्‍ने में संक्षिप्‍त करके राजा के समक्ष पेश किया पर राजा को ये भी काफी लंबा लगा। आखिरकार वे राजा के पास सिर्फ एक वाक्‍य लेकर आए और राजा उस वाक्‍स से पूरी तरह से संतुष्‍ट हो गया। राजा ने निर्णय लिया की आने वाली पीढि़यों तक अगर समझदारी भरी सिर्फ एक वाक्‍य पहुंचाना हो तो वह या वाक्‍य होगा ”भोजन मुफ्त में नहीं मिलता”

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