बहुत समय पहले एक स्कूल के बच्चों ने पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम बनाया। सभी बच्चे पिकनिक जाने के लिये बहुत प्रसन्न थे तथा वहॉं खाने के लिये घर से कुछ न कुछ विशेष खाने का सामान लाना चाहते थे। उनमें एक बच्चा अल्प आय परिवार का था। उसने जब घर पर जाकर अपनी मॉं से इस कार्यक्रम का जिक्र किया तो उसकी मां उदास हो गयी। उसने कहा कि हमारे घर में केवल कुछ खजूर रखे हैं, यह सुनकर बच्चा गुमसुम हो गया। जब उसने सारी बात उसके पिताजी को बताई।
माता-पिता ने काफ़ी देर तक इस बात पर विचार किया। यह सब उनका बेटा देख रहा था। उसे खराब लग रहा था कि उसकी पिकनिक की वजह से उसके परिवार वाले चिंता में हैं। पिताजी कहीं बाहर जाने के लिए तैयार हुये, तो बालक ने पूछा, वह बोला – ” मैं अपने पड़ोसी से कुछ रूपये उधार लेने के लिये जा रहा हूँ, जिससे हम पिकनिक के लिये कोई खाने की अच्छी चीज खरीद सकें।”
बच्चे ने कहा – पिताजी, उधर मांगना अच्छी बात नहीं है। मैं पिकनिक पर वही लेकर जाऊँगा, जो कुछ हमारे घर में है। उधार लेकर झूठी शान दिखाना शोभा नहीं देता। पिता ने प्यार से अपने बेटे को अपने सीने से लगा लिया। पंजाब का यह सपूत बाद में लाला लाजपतराय के नाम से विख्यात हुआ।
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