विद्वानों का मानना है कि पूजा के स्थान पर देवी-देवताओं के यंत्र रख कर उनकी पूजा उपासना करने से अधिक उत्तम फल मिलता है, क्योंकि देवी-देवता यंत्र में स्वयं वास करते हैं। अतः मंत्रों की तरह ही यंत्र भी शीघ्र सिद्धि देने वाले होते हैं। यों भी कहा जा सकता है कि यंत्र, मंत्रों का चित्रात्मक प्रदर्शन हैं।

यंत्र का तात्पर्य चेतना अथवा सजगता को धारण करने का माध्यम या उपादान माना गया है। ये ज्यामितीय आकृतियां होते हैं, जो त्रिभुज, अधोमुखी त्रिभुज, वृत्त, वर्ग, पंच कोण तथा षट्‌कोणीय आदि आकृतियों के होते हैं। मंडल का अर्थ वर्तुलाकर आकृति होता है, जो ब्रह्मांडीय शक्तियों से आवेशित होती है। यंत्र की नित्य पूजा उपासना और दर्शन से व्यक्ति को अभीष्ट की पूर्ति तथा इष्ट की कृपा प्राप्त होती है। इन्हीं अनुभवों को ध्यान में रखते हुए हमारे पूर्वज मनीषियों ने यंत्रों का निर्माण सर्वसाधारण के लाभहेतु किया। ध्यान रखें कि यंत्रों को प्राणप्रतिष्ठित कराकर ही पूजा स्थल में रखें, तभी वे फलदायी होंगे।

Puja Me Yantra Ka Kya Mahatva Hota Hai
Puja Me Yantra Ka Kya Mahatva Hota Hai

भुवनेश्वरी क्रम चंडिका में लिखा है कि भगवान् शिव देवी पार्वती को कह रहे हैं- ‘हे प्रिये पार्वती ! जैसे प्राणी के लिए शरीर आवश्यक है और दीपक के लिए तेल आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार देवताओं के लिए यंत्र आवश्यक हैं।’ यही बात कुलार्णावतन्त्र नामक ग्रंथ में भी वर्णित है-

यन्त्रमित्याहुरेतस्मिन देवः प्रीणातिः ।
शरीरमिव जीवस्य दीपस्य स्नेहवत प्रिये ॥

कुछ प्रसिद्ध प्रमुख यंत्रों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

(Yantron Ke Naam Aur Unka Mahatva)

श्रीयंत्र- इस यंत्र से श्री वृद्धि अर्थात् लक्ष्मी जी की अपार कृपा होती है और धन की कमी नहीं रहती। इसके दर्शन मात्र से अनेक यज्ञों का फल प्राप्त होता है।

श्रीमहामृत्युंजय यंत्र- मारक दशाओं के लगने के पूर्व इसकी आराधना से प्राणघातक दुर्घटना, संकट, बीमारी, महामारी, मारकेश, अकाल मौत, अरिष्ट ग्रहों का दोष, शत्रु भय, मुकदमेबाजी आदि का निवारण होता है।

बगलामुखी यंत्र- शत्रुओं के विनाश या दमन के लिए, वाद-विवाद या मुकदमे में विजय पाने हेतु व बाधाओं को दूर करने के लिए यह यंत्र महान सहायक सिद्ध होता है।

बीसा यंत्र- जिसके पास बीसा यंत्र होता है, भगवान् उसकी हर प्रकार से सहायता करते हैं। साधकों की हर मुश्किल आसान हो जाती है। प्रातः उठते ही इसके दर्शन करने से बाधाएं दूर होकर कार्यों में सफलता मिलती है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

श्री कनकधारा यंत्र- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए और दरिद्रता दूर करने के लिए यह रामबाण यंत्र है। यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है।

कुबेर यंत्र- धन के देवता कुबेर की कृपा से धन की प्राप्ति होती है।

श्रीमहालक्ष्मी यंत्र- इसकी अधिष्ठात्री देवी कमला हैं, जिनके दर्शन व पूजन से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।

सूर्य यंत्र- सदैव स्वस्थ रहने की आकांक्षा हो, तो भगवान् सूर्य की प्रार्थना करनी चाहिए। इससे तमाम रोगों का शमन होता है। व्यक्तित्व में तेजस्विता आती है।

पंचादशी यंत्र- यह यंत्र भगवान् शंकर की कृपा और धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

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