Must Read This Very Motivational Story in Hindi on Life, Prernadayak Kahani in Hindi
यह कथा एक पैसे वाले आदमी की है जो कि बेहद ही जिद्दी था। ये आदमी अपने बचपन से ही जिद्दी और प्रतिस्पर्द्धी दिमाग वाला था। जब भी ये कोई बात मन में ठान लेता था तो उसके पीछे ही लग जाता था और जब तक उसको कर नहीं लेता था जब तक हार नहीं मानता था।
इसके इसी आचरण की वजह से इस आदमी ने 50 की उम्र तक आते आते बहुत से व्यापार स्थापित कर लिये थे। और शहर का सबसे बड़ा उद्योगपति बन चुका था। इस आदमी के पास लाखों लोग काम करते थे।
एक दिन ये पैसा वाला आदमी अपनी गाड़ी में कही जा रहा था, वाहन चालक ने उस रोज गलती से कोई गाना चालाने की वजाह एक सत्संग लगा दिया। उस सत्संग में धार्मिक गुरू प्रवचन दे रहे थे, कि आप चाहे जितना हाथ पैर माल लें, चाहे कोई भी तरीका कर ले आप दुनिया में जैसे आये है वैसे ही दुनिया से जायेगें।
गुरू ने गहराई से समझाते हुए कहा कि जिंदगी भर तो भी आपने कमाया है या फिर जिस कार्य के लिए आपने अपना पूरा जीवन लगा दिया, चाहे वह आपका धन हो, शोहरत हो, घर हो या फिर और कुछ यह सब आपके साथ कभी नहीं जायेगा, आपक कुछ भी कर ले फिर भी आप से कभी भी अपने साथ नहीं ले जा पाओगें।
गुरू की ये बातें सुन कर व्यापारी अपने स्वभाव के अनुसार इसे चुनौती की तरह स्वीकार करता है। व्यापारी मन में ठान लेता है कि वह इन धर्म गुरू के शब्दों को गलत साबित कर के ही रहेगा। वह कुछ ऐसा करेगा कि अपना कमाया हुआ धन, संपत्ती मरने के बाद भी अपने साथ लेकर जायेगा।
उस दिन के बाद से उद्योगपति दिन-रात यही बात सोचने में लग गया कि वह ऐसा क्या करें कि जिससे वह इस चुनौती को जीत पाए? कुछ दिन ऐसे ही बीत जाते हैं लेकिन उस उद्योगपति को कोई भी ऐसा उपाय नहीं मिलता जिससे वह उस धर्मगुरु की बात को गलत साबित कर पाए।
काफी सोचने समझने के बाद वो तय करता है कि वह अकेला ज्यादा नहीं सोच पाएगा इसलिए उन सभी लोगों के दिमाग का इस्तेमाल करना सही होगा जो उसकी कंपनियों में काम करते हैं। एक दिन वह अपने सभी कर्मचारियों को एक जगह एकत्रित करता है और यह अनाउंस करता है कि जो भी उसे मरने के बाद पैसा अपने साथ कैसे लेकर जाना है इसके लिए कोई आईडिया देगा वह उस व्यक्ति को एक करोड़ रूपया देगा।
उद्योगपति की ऐसी अनाउंसमेंट सुनकर लोग कानाफूसी करने लगते हैं। कई लोग इसे एक मजाक समझते हैं! और कई लोग सोचते हैं कि उद्योगपति का दिमाग खराब हो गया है। उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। उस दिन उद्योगपति वापस अपने घर चला जाता है।
एक हफ्ता निकल जाने के बाद भी उसे कोई उपाय देने के लिए नहीं आता है तो वह फिर से एक बार सभी को इकट्ठा करता है और इस बार आईडिया देने वाले को 5 करोड़ देने का वादा करता है। अबकी बार यह बात उसके कर्मचारियों तक ना सीमित रह कर पूरे शहर में फैल जाती है।
अगले दिन एक अनजान आदमी उस उद्योगपति के घर पहुंच जाता है। वह कहता है कि मैं आपको वही आइडिया देने वाला हूं जो आप चाहते हैं लेकिन उसके लिए मेरे कुछ सवालों के जवाब आपको देने होंगे।
उद्योगपति की आंखों में चमक आ जाती है। वह सोचता है कि आखिरकार मुझे कोई उपाय मिल ही गया। उद्योगपति उस आदमी से कहता है पूछो तुम्हें जो पूछना है।
आदमी उद्योगपति से पूछता है क्या आप कभी अमेरिका गए हैं?
उद्योगपति कहता है – हां कई बार।
आदमी पूछता है – आप वहां पर अपने पैसे कैसे लेकर जाते हैं?
उद्योगपति कहता है – मैं एयरपोर्ट पर जाकर उन्हें अमेरिका में चलने वाले डॉलर के साथ बदलवा देता हूं।
आदमी उद्योगपति से एक के बाद एक कई देशों के नाम बताकर यही सवाल करता है और उद्योगपति उसे हर बार जवाब देता है कि वह उस देश की करेंसी को एयरपोर्ट पर एक्सचेंज करवा लेता है ताकि वहां जाकर वह उन पैसों को अपने हिसाब से खर्च कर पाए।
बार-बार एक तरह का सवाल सुनकर उद्योगपति चिढ़ जाता है और वह उस आदमी से कहता है की तुम ऐसी बेवकूफो जैसी बातें क्यों कर रहे हो? सीधे-सीधे मुझे उपाय बताओ कि मैं कैसे अपने सारे पैसे मरने के बाद भी अपने साथ ले जा पाऊंगा?
आदमी कहता है – यही तो मैं कब से आप को समझाने की कोशिश कर रहा हूं! जैसे आप इस देश के पैसे दूसरे देश में इस्तेमाल करने से पहले उस देश के पैसों के साथ एक्सचेंज करवाते हैं, वैसे ही आपको मरने से पहले अपने सारे पैसे स्वर्ग की करेंसी के साथ एक्सचेंज करवाने पड़ेंगे! और स्वर्ग की करेंसी है पुण्य! आप अपने पैसों का इस्तेमाल ऐसे कामों में कीजिए जिनसे पुण्य मिलता है। बस यही एक तरीका है जिससे आप अपना कमाया सारा धन अपने साथ मरने के बाद भी ले जा सकते हैं।
उद्योगपति को उस आदमी की बात समझ में आ जाती है। वह उसे उसके हिस्से का इनाम देता है और अपना बाकी का सारा जीवन दान धर्म और गरीब लोगों की सेवा में लगा देता है।