समय का राग कुसमय की टर्र – कुम्हार की पंचतंत्र कहानी!
स्वार्थमुत्सृज्य यो दम्भी सत्यं ब्रूते सुमन्दधीः । स स्वार्वाद् भ्रश्यते नूनं युधिष्ठिर इवापरः॥ अपने प्रयोजन से या केवल दम्भ से सत्य बोलनेवाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है। युधिष्ठिर नाम का एक कुम्हार एक बार टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकराकर गिर गया। गिरते ही वह ठीकरा उसके माथे में घुस गया। खून बहने … Read more