हिंदू संस्कृति में ॐ का उच्चारण अत्यंत महिमापूर्ण और पवित्र माना गया है। इसके उच्चारण में अ+उ+म् अक्षर आते हैं जिसमें ‘अ’ वर्ण ‘सृष्टि’ का द्योतक है, ‘उ’ वर्ण ‘स्थिति’ दर्शाता है जबकि ‘म’ ‘लय’ का सूचक है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शंकर) का बोध कराता है और इन तीनों शक्तियों का एक साथ आवाहन होता है। ये तीन अक्षर ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद का प्रतिनिधित्व करते हैं। ॐ ही समस्त धर्मों व शास्त्रों का स्रोत है। नाद ध्वनि का मूल स्वरूप ॐकार माना गया है। ॐ ही नाद ब्रहा है। ॐ पराबीजाक्षर है। इसी कारण हर शुभ कार्य करने से पहले इसका उच्चारण अनिवार्य है। इस बीजाक्षर को अत्यंत रहस्यमय और परम शक्तिशाली माना गया है। इसीलिए अनादि काल से साधकों में ॐकार के प्रति अगाध श्रद्धा रही है।
ॐ की महिमा के संबंध में अनेक ग्रंथों में उल्लेख किया गया है।

om ka mahatva kyon hai
om ka mahatva kyon hai

कठोपनिषद् में यमदेव नचिकेता से कहते हैं-

सर्वे वेदा यत् पदमामनन्ति तपांसि सर्वाणि च यद् वदन्ति ।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्य चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण ब्रवीम्योमित्येतत् ॥
– कठोपनिषद् 12/15
अर्थात् सभी वेदों ने जिस पद की महिमा गाई, तपस्वी लोगों ने तपस्या करके जिस शब्द का उच्चारण किया, उसी महत्त्वपूर्ण शक्ति को मैं तुम्हें साररूप में बताता हूं। है नचिकेता! वेदों का सार, तपस्वियों का वचन, ज्ञानियों का अनुभव ‘ॐ इति एतत्’ केवल ॐ ही है।

आगे 1/2/16-17 में कहा है कि यह अक्षर (ओंकार ॐ) ही तो ब्रह्म है और यह अक्षर ही परब्रह्म है। इसी अक्षर को जानकर मनुष्य जो कुछ चाहता है, उसको वही मिल जाता। यही अत्युत्तम आलम्बन है, यही सबका अंतिम आश्रय है। इस आलम्बन को भली भांति जानकर साधक ब्रह्मलोक में महिमान्वित होता है।

माण्डूक्य उपनिषद् में कहा गया है-

युंजीत प्रणवे चेतः प्रणवो ब्रह्म निर्भयम् ।
प्रणवे नित्ययुक्तस्य न भयं विद्यते क्वचित् ॥
माण्डूक्य उप. आगम प्रकरण 25
अर्थात् चित्त को ॐ में समाहित करो। ॐ निर्भय ब्रह्मपद है। ॐ में नित्य समाहित रहने वाले पुरुष को कहीं भी भय नहीं होता। भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है-

ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन् ।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम् ॥
– श्रीमद्भगवद्गीता 8/13
अर्थात् मन के द्वारा प्राण को मस्तक में स्थापित करके, योगधारण में स्थित होकर जो पुरुष ॐ इस एक अक्षररूप ब्रह्म का उच्चारण और उसके अर्थस्वरूप मुझ निर्गुण ब्रह्मा का चिंतन करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह पुरुष परम गति को प्राप्त होता है।

आगे वे श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 17 के श्लोक 24 में कहते हैं कि वेद मंत्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्रविधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएं सदा ॐ इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरंभ होती हैं।

गोपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि बिना ॐ लगाए किसी मंत्र का उच्चारण करने पर मंत्र निष्फल हो जाता है। मंत्र के आगे ॐ का उच्चारण मंत्र की शक्ति में वृद्धि कर देता है। ॐ शिव है और मंत्र है शक्ति रूप, इसलिए इन दोनों का एक साथ उच्चारण करना मंत्र में सिद्धि देनेवाला है। प्रत्येक स्तोत्र, उपनिषद्, गायत्री मंत्र, यज्ञ में आहुतियां देने वाले मंत्र, सभी अर्चनाएं, सहस्रनाम, भगवानों को याद करने के मंत्र आदि सब ॐ से ही आरंभ होते हैं।

गोपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि बिना ॐ लगाए किसी मंत्र का उच्चारण करने पर मंत्र निष्फल हो जाता है। मंत्र के आगे ॐ का उच्चारण मंत्र की शक्ति में वृद्धि कर देता है। ॐ शिव है और मंत्र है शक्ति रूप, इसलिए इन दोनों का एक साथ उच्चारण करना मंत्र में सिद्धि देनेवाला है। प्रत्येक स्तोत्र, उपनिषद्, गायत्री मंत्र, यज्ञ में आहुतियां देने वाले मंत्र, सभी अर्चनाएं, सहस्रनाम, भगवानों को याद करने के मंत्र आदि सब ॐ से ही आरंभ होते हैं।

ॐ को पूर्ण श्रद्धा भाव के साथ ऊंचे दीर्घ स्वर में उच्चारण करना चाहिए। इसके उच्चारण से ध्वनि में कंपन शक्ति पैदा होती है। भौतिक शरीर के अणु-अणु पर इसका प्रभाव पड़ता है। मन में एकाग्रता और शक्ति जाग्रत होती है। वाणी में मधुरता आती है। विक्षिप्तता नष्ट हो जाती हैं। शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। सभी संसारी विचारों का लोप हो जाता है। सुषुप्त शक्तियां जाग्रत होती हैं। आत्मिक बल मिलता है। जीवनी शक्ति ऊर्ध्वगामी होती है। इसके 7, 11, 21, 51 बार उच्चारण करने से चित्त की उदासी, निराशा दूर होकर प्रसन्नता आती है। सामूहिक रूप से किया गया ॐ का उच्चारण और अधिक प्रभावशाली हो जाता है। अतः शरीर को तंदुरुस्त व मन को स्वस्थ बनाने के लिए हमें शांत मन से कुछ समय ॐ का उच्चारण अवश्य करना चाहिए।

वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे सिर की खोपड़ी में स्थित मस्तिष्क में कई अंग व दिमाग योगासन व व्यायाम द्वारा खिंचाव में नहीं लाए जा सकते, इसलिए ॐ का उच्चारण उपयोगी है। इससे दिमाग के दोनों अर्द्धगोल प्रभावित होते हैं जिससे कम्पन व तरंग मस्तिष्क में लाकर कैलशियम कार्बोनेट का जमाव झटककर दिमाग साफ रखता है।

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