हम ऋषि-मुनियों के श्रीमुख से सुनते आए हैं कि जिस देवी-देवता में जिस गुण का आरोप किया जाता था, उसे उसी गुणवाला कोई पशु या पक्षी वाहन के रूप में दिया गया था। इसीलिए उनके वाहन भी पृथक् पृथक् हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में हर एक देवी या देवता के विशेष वाहन का ब्यौरा मिलता है, जैसे-देवी भागवत के अनुसार लक्ष्मी का वाहन उल्लू, दुर्गा का सिंह तथा शिवपुराण के अनुसार गणेश का चूहा, शिव का वृषराज नंदीश्वर आदि हैं। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इन वाहनों के रूप आदि में अत्यंत ही अद्भुत रहस्य व सूक्ष्म प्रेरणाएं छिपी हुई हैं, जिन्हें हर एक को जानना चाहिए।

Devi Devtaon Ke Vahan Alag Alag Pashu Pakshi Kyon
Devi Devtaon Ke Vahan Alag Alag Pashu Pakshi Kyon

गणेशजी का वाहन चूहा स्वच्छंदता की स्थिति में अस्थिर होने का प्रतीक है। मन रूपी चूहे की एकाग्रता हो जाने पर संसार के सभी सुखों की प्राप्ति व ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। आत्मज्ञान से चंचलता पर लगाम लगती है। कहा भी गया है कि मन ही मानव के बंधन और मोक्ष का कारण है।

गणेशपुराण के अनुसार कौंच गंधर्व के अपराध करने पर ऋषि सौभरि ने उन्हें श्राप देकर चूहा बना दिया था। ऋषि से शापमोचन की विनती करने पर उसे पाराशर ऋषि के यहां पैदा होने वाले गजानन का वाहन बनकर स्वर्ग प्राप्ति का आशीर्वाद मिला। चूहे द्वारा सभी को परेशान करने पर गणेश ने अपना पाश अभिमंत्रित कर उसे बांध लिया। तब उसकी गणेश स्तुति से प्रसन्न होकर उसे गणेश ने अपना वाहन बना लिया।

शिवजी का वाहन वृषराज नंदीश्वर धर्म का बोधक है। नंदी का सफेद रंग सत्वगुण का प्रतीक है और नंदी के चार पैर धर्म के चार स्तंभ दया, दान, तप और शौच हैं। इनका पालन करके हम शिवलोक की प्राप्ति कर सकते हैं।

सरस्वती का वाहन हंस पक्षी श्रेष्ठ के रूप में सर्वपूज्य है। नीर-क्षीर-विवेक एवं मोती चुगना उसकी विशेषता है। इन गुणों को अपनाकर ब्रह्मपद पाया जा सकता है।

लक्ष्मी का वाहन उल्लू आध्यात्मिक दृष्टि से दिवांधता का प्रतीक है। जब कोई भगवान् विष्णु को छोड़कर अकेली लक्ष्मी का आह्वान करता है, तब उनका वाहन भरे दिन में न देख सकने वाला विनाश का प्रतिनिधि उल्लू पक्षी होता है अन्यथा वह पतिदेव के साथ गरुड़ पर सवार होकर ही जाती हैं। सांसारिक जीवन में लक्ष्मी यानी धन-दौलत के पीछे बिना सोचे-समझे भागने वाले व्यक्ति आत्मज्ञान रूपी सूर्य को नहीं देख पाते हैं।

दुर्गा का वाहन सिंह (शेर) बल और पौरुष का प्रतीक है। चूंकि सिंह हिंसक प्राणी है, इसलिए देवी के उपासक में सिंहत्व के गुण आ जाते हैं। दुर्गा के उपासक शक्तिशाली होकर मदांध भी होते देखे गए हैं। अपने शत्रुओं का दमन करने में वे समर्थ होते हैं।

विष्णु का वाहन गरुड़ दूर दृष्टि के लिए प्रसिद्ध है। अद्वितीय सामर्थ्य के कारण दूर तक उड़ने में सक्षम होता है। गरुड़ ही वेद का प्रतीक है। इसमें कायाकल्प करने की अद्भुत क्षमता है।

मृत्यु के देवता यमराज का वाहन भैंसा है, जो देखने में भयंकर लगता है। इसे प्रेत का प्रतिरूप मानने के कारण इसके दर्शन करना अशुभ माना गया है।

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