लगते ढोल सुहावने, जब बजते हों दूर। चंचल चितवन कामिनी, दूर भली मशहूर।। दूर भली मशहूर, सदा विष भरी कटारी। कभी न रहती ठीक, छली, कपटी की यारी। ‘ठकुरेला’ कविराय, सन्निकट संकट जगते। विषधर, वननृप, आग, दूर से अच्छे लगते।। *** जीना है अपने लिये, पशु को भी यह भान। परहित में मरता रहा, युग…
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एक स्त्री जब उदास होती है!!
एक स्त्री जब उदास होती है..; धीमी हो जाती है.. धरती के घूमने की गति..! एक स्त्री जब मुस्कराती है..; आसमान थोड़ा झुक जाता है..! एक स्त्री जब हँसती है.. अनुचित हँसी; महाभारत होता है..! एक स्त्री की निश्छलता पर.. सकुचाने लगती है; भागीरथी..! एक स्त्री जब जिद करती है.. अपने अधिकार के लिए; यमराज…
माँ की वो रसोई!!
माँ की वो रसोई मेरी माँ की वो रसोई.. जिसको हम किचन नहीं चौका कहते थे माँ बनाती थी खाना और हम उसके आस पास रहते थे माँ ने उस 4×4 के कोने को बड़े सलीके से सजाया था कुछ पत्थर और कुछ तख्ते जुगाड़ कर एक मॉडुलर किचेन बनाया था माँ की उस रसोई…
स्त्री हूँ न….
चट्टान_सी सुदृढ दिखती हूँ.. हमेशा- मुस्कुराहट रहती है_ चेहरे पर… पर_ मैं_भी टूटती हूँ.. बिखरती हूँ., मोम की तरह_ पिघल भी जाती हूँ.. काश! इस बात को_ तुम समझते ..! इसख़्याल से नम हुए पलकों को… अपने_हीं आँचल_से पोंछ फिर मुस्कुरा लेती हूँ_ स्त्री हूँ न,,,,, 🎉💕
समय चला, पर कैसे चला Nice Poem About Life
Nice Poem About Life 💙 समय चला, पर कैसे चला… 💙 पता ही नहीं चला… ज़िन्दगी की आपाधापी में, कब निकली उम्र हमारी,यारो पता ही नहीं चला। कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे, कब कंधे तक आ गए, पता ही नहीं चला। किराये के घर से शुरू हुआ था सफर अपना कब अपने घर तक आ…
हर उस बेटे को समर्पित जो घर से दूर है!!
“हर उस बेटे को समर्पित जो घर से दूर है” बेटे भी घर छोड़ जाते हैं जो तकिये के बिना कहीं… भी सोने से कतराते थे… आकर कोई देखे तो वो… कहीं भी अब सो जाते हैं… खाने में सो नखरे वाले… अब कुछ भी खा लेते हैं… अपने रूम में किसी को… भी नहीं…
“मेरी कोई जायदाद नहीं”
तन्हा बैठा था एक दिन मैं अपने मकान में, चिड़िया बना रही थी घोंसला रोशनदान में। पल भर में आती पल भर में जाती थी वो। छोटे छोटे तिनके चोंच में भर लाती थी वो। बना रही थी वो अपना घर एक न्यारा, कोई तिनका था, ईंट उसकी कोई गारा। कड़ी मेहनत से घर जब…
ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?
शहीद जवान के बच्चे की दिल छू गई कविता ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है? माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है, ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है। पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे, टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे। गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे, हाथ…
देह मेरी, हल्दी तुम्हारे नाम की~ लड़कियों को सम्मान दे!
लोग पत्नी का मजाक उड़ाते है। बीवी के नाम पर कई Msg भेजते है, उन सभी के लीये…. —————————————————- Please Read This…. A Lady’s Simple Questions & Surely It Will Touch A Man’s Heart… —————————————————– देह मेरी, हल्दी तुम्हारे नाम की । हथेली मेरी, मेहंदी तुम्हारे नाम की । सिर मेरा, चुनरी तुम्हारे नाम की…
पिता की भावनायें — हिंदी कविता
…………. पिता की भावनायें…………………. माँ को गले लगाते हो, कुछ पल मेरे भी पास रहो ! ’पापा याद बहुत आते हो’ कुछ ऐसा भी मुझे कहो ! मैनेँ भी मन मे जज़्बातोँ के तूफान समेटे हैँ, ज़ाहिर नही किया, न सोचो पापा के दिल मेँ प्यार न हो!