लगते ढोल सुहावने, जब बजते हों दूर। चंचल चितवन कामिनी, दूर भली मशहूर।। दूर भली मशहूर, सदा विष भरी कटारी। कभी न रहती ठीक, छली, कपटी की यारी। ‘ठकुरेला’ कविराय, सन्निकट संकट जगते। विषधर, वननृप, आग, दूर से अच्छे लगते।। *** जीना है अपने लिये, पशु को भी यह भान। परहित में मरता रहा, युग…
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पिता की भावनायें — हिंदी कविता
…………. पिता की भावनायें…………………. माँ को गले लगाते हो, कुछ पल मेरे भी पास रहो ! ’पापा याद बहुत आते हो’ कुछ ऐसा भी मुझे कहो ! मैनेँ भी मन मे जज़्बातोँ के तूफान समेटे हैँ, ज़ाहिर नही किया, न सोचो पापा के दिल मेँ प्यार न हो!
” वक़्त नहीं ” एक प्यारी सी कविता वक़्त पर
एक प्यारी सी कविता वक़्त पर . ” वक़्त नहीं ” हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में , पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं . दिन रात दौड़ती दुनिया में , ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .
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