वे लोग पिछले कई दिनों से इस जगह पर खाना बाँट रहे थे। हैरानी की बात ये थी कि एक कुत्ता हर रोज आता था और किसी न किसी के हाथ से खाने का पैकेट छीनकर ले जाता था। आज उन्होने एक आदमी की ड्यूटी भी लगाई थी कि खाने को लेने के चक्कर में…
गुरु की महिमा! Moral Story in Hindi
एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन टूटे’। तभी पिंजरे में बंद तोता बोलता, ‘यूं मत कहो रे पंडित झूठे’। पंडित को क्रोध आता कि ये सब क्या सोचेंगे, रानी क्या सोचेगी। पंडित अपने गुरु के पास गया, गुरु को सब हाल…
त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी की कुण्डलियां।
लगते ढोल सुहावने, जब बजते हों दूर। चंचल चितवन कामिनी, दूर भली मशहूर।। दूर भली मशहूर, सदा विष भरी कटारी। कभी न रहती ठीक, छली, कपटी की यारी। ‘ठकुरेला’ कविराय, सन्निकट संकट जगते। विषधर, वननृप, आग, दूर से अच्छे लगते।। *** जीना है अपने लिये, पशु को भी यह भान। परहित में मरता रहा, युग…
मैं नफ़रत में यक़ीन नहीं करता!!
मैं नफ़रत में यक़ीन नहीं करता क्यूँकि मेरी अरदास में रोज़ ‘सरबत का भला’ माँगा जाता है और मेरी परम्परा युद्ध में दुश्मन को भी पानी पिलाने की है मैं जातिवाद का विरोधी हूँ क्यूँकि मैं जानता हूँ कि पंच प्यारे भी दलित-पिछड़ों में से थे दर्ज़ी, नाई, भिशती, खत्री और जाट थे और मेरे…
एक स्त्री जब उदास होती है!!
एक स्त्री जब उदास होती है..; धीमी हो जाती है.. धरती के घूमने की गति..! एक स्त्री जब मुस्कराती है..; आसमान थोड़ा झुक जाता है..! एक स्त्री जब हँसती है.. अनुचित हँसी; महाभारत होता है..! एक स्त्री की निश्छलता पर.. सकुचाने लगती है; भागीरथी..! एक स्त्री जब जिद करती है.. अपने अधिकार के लिए; यमराज…
माँ की वो रसोई!!
माँ की वो रसोई मेरी माँ की वो रसोई.. जिसको हम किचन नहीं चौका कहते थे माँ बनाती थी खाना और हम उसके आस पास रहते थे माँ ने उस 4×4 के कोने को बड़े सलीके से सजाया था कुछ पत्थर और कुछ तख्ते जुगाड़ कर एक मॉडुलर किचेन बनाया था माँ की उस रसोई…
जब तक बेटी हमारे घर है उनकी हर इच्छा जरूर पूरी करे!!
पाँच साल की बेटी बाज़ार में गोल गप्पे खाने के लिए मचल गई। “किस भाव से दिए भाई?” पापा नें सवाल् किया। “10 रूपये के 8 दिए हैं। गोल गप्पे वाले ने जवाब दिया… पापा को मालूम नहीं था गोलगप्पे इतने महँगे हो गये है…. जब वे खाया करते थे तब तो एक रुपये के…
मम्मी पापा ११ बजे की गाड़ी से आ रहे है !!
फ़ोन की घंटी तो सुनी मगर आलस की वजह से रजाई में ही लेटी रही। उसके पति राहुल को आखिर उठना ही पड़ा। दूसरे कमरे में पड़े फ़ोन की घंटी बजती ही जा रही थी। इतनी सुबह कौन हो सकता है जो सोने भी नहीं देता, इसी चिड़चिड़ाहट में उसने फ़ोन उठाया। “हेल्लो, कौन” तभी…
एक फकीर हुआ, अगस्तीन।
एक फकीर हुआ, अगस्तीन। कोई तीस वर्षों से परमात्मा की खोज में था। भूखा और प्यासा, रोता और चिल्लाता और प्रार्थना करता। एक क्षण का विश्राम न लेता। जीवन का कोई भरोसा नहीं है। परमात्मा को पा लेना है। तो सब भांति के उपाय उसने किए। बूढ़ा हो गया था, थक गया था, परमात्मा की…
स्त्री हूँ न….
चट्टान_सी सुदृढ दिखती हूँ.. हमेशा- मुस्कुराहट रहती है_ चेहरे पर… पर_ मैं_भी टूटती हूँ.. बिखरती हूँ., मोम की तरह_ पिघल भी जाती हूँ.. काश! इस बात को_ तुम समझते ..! इसख़्याल से नम हुए पलकों को… अपने_हीं आँचल_से पोंछ फिर मुस्कुरा लेती हूँ_ स्त्री हूँ न,,,,, 🎉💕