
गर्मी के दिनों की बात है। एक जगह एक मैदान में एक टिड्डा यहाँ-वहाँ कूद रहा था और फुदाक रहा था और काफ़ी चहक रहा था। टिड्डा बहुत मस्ती में था और गाना गाते हुए आगे बढ़ रहा था। अचानक ही एक चींटी उसके सामने से गुज़री। उसने देखा की चींटी एक मक्के के दाने को लुढ़काते हुए ले जा रही है और उसे अपने घर में ले जाने का प्रयास कर रही है।
यह देखकर टिड्डा बोला, ‘तुम क्यूँ ना मेरे पास आओ और मुझसे बात करो बजाए इतनी मेहनत और कठिन कार्य करने के’
चींटी ने कहा, ‘में ठंड के लिए खाना जमा कर रही हूॅं और में तुम्हें भी यहीं सलाह दूँगी की तुम भी खाना जमा कर लो’
टिड्डी ने कहा, “ठंडी के मौसम को आने मे तो अभी काफ़ी समय है।
उसकी चिंता अभी से क्यूँ करनी। मेरे पास अभी के लिए पर्याप्त खाना है.”
चींटी वहाँ से चली गई और उसने अपना काम जारी रखा। टिड्डा हर दिन उस चींटी को खाना जमा करते हुए देखता पर उसने खुद अपने लिए काम करने की नही सोची। आख़िरकार ठंडी के दिन आ ही गये। टिड्डा तब भूख से बेहाल हो गया और दाने-दाने का मोहताज हो गया, इसके उलट चींटी के पास खाने का भंडार था जो उसने गर्मी के सीज़न में अपने लिए जमा किए हुए थे। वह अपने घर मे आराम से जमा किए हुए खाने से समय बिताने लगी।
यह देखकर टिड्डे को भी अपनी ग़लती का एहसास हुआ और सोचने लगा की अगर उसने भी समय रहते अपने लिए खाना जमा कर लिया होता तो उसे आज दाने दाने का मोहताज नहीं होना पड़ता।
Moral of the Story: आज जो कार्य करोगे उसका लाभ तुम्हे कल के दिन अवश्य मिलेगा।
Jise girne ka ahshash na Ho . wah aadmi kabhi badi safaltayen nahi pa sakta.Aur Jo aadmi safaltao ko prapt karte hai WO girne se hi suruaat karte hai.
Wah wah !! wah wah !! Kya baat kahi hain!!! 👍👍💐🎊🎉🎂🍰😊😁
Thanks for sharing this lovely story for me thank you
Thncxx sir or bhi pdf banaye
upboard class 11th ka
lot of thankcxx again…
nice story